– अदम गोंडवी
मधेपुरा का ये गाँव शर्म है
विकास के नाम पर. ये गाँव शर्म है मधेपुरा के उन अधिकारियों के लिए जो विकास के
दावे करते नहीं अघाते. ये गाँव शर्म है सुशासन का नारा देकर लोगों को बेवकूफ बनाते
उस सरकार पर जिसकी फाइलों में विकास तो है पर धरातल पर विकास के नाम पर मजाक है और
खासकर एक क्रूर मजाक है मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के बिशनपुर सुन्दर पंचायत
के ‘मनखाहा’ गाँव के उन लोगों के साथ जिनकी
जिंदगी दर्द में कट रही है. हैरत की बात तो यह है कि इस प्रखंड से जुड़े दो बड़े
नेता पप्पू यादव और रंजीत रंजन वर्तमान में सांसद हैं और एक विधायक रमेश ऋषिदेव भी
पास के ही रहने वाले हैं.
कहते हैं कि इस गाँव में आजतक कोई बड़ा अधिकारी नहीं गया. जाना
लाजिमी भी नहीं था. जिला मुख्यालय से इस गाँव तक जाने के लिए कोई सड़क नहीं है.
साहब लोगों की एयर कंडीशन कार तो छोडिये, मोटरसायकिल से भी इस गाँव नहीं पहुंचा जा
सकता है. पर हाँ सड़क के नाम पर मनरेगा से जुड़े अधिकारियों पर इस गाँव के लोग लूट
का आरोप लगाते हैं.
लगभग 3000 आबादी वाले इस सघन
बस्ती मनखाहा का अस्तित्व आजादी के पूर्व से है. गाँव से जिला मुख्यालय तक जाने की
कोई सड़क नहीं होने की वजह से बरसात और उसके कुछ महीने पहले तथा बाद ये गाँव टापू
बन जाता है. खेतों से होकर भी निकलना मुश्किल होता है और फिर यदि कोई यहाँ बीमार
पड़ जाए तो उसकी जान या तो भगवान भरोसे ही बचती है या फिर उसे मौत को गले लगा लेना
होता है. गाँव वाले बताते हैं कि इस गाँव में सड़क के नाम पर कई बार मनरेगा की राशि
निकाली गई पर उन राशियों से पदाधिकारियों के घर में झूमर लग गए. यदि बरसात में
गांव से बाहर किसी ग्रामीण की मौत हो जाती है तो उसका क्रिया-कर्म बाहर ही कर दिया
जाता है, गाँव लाने की जहमत कोई उठाना नहीं चाहता. गांव के बीमार को लोग कंधे पर
उठाकर खेतों के रास्ते बाहर ले जाते हैं.
विकास के सबसे पिछले पायदान पर
बसे इस गाँव के किसी लड़के-लड़की की शादी जल्दी नहीं होती. कोई तैयार नहीं होता इस
पिछड़े गाँव में अपने बेटे-बेटियों का रिश्ता जोड़ने के लिए. कहते हैं बारात तो
पहुंचेगी नहीं गांव में लड़का पैदल खेत से जाकर पहुंचेगा वहां, क्या जरूरत है ऐसे
गाँव में रिश्ता जोड़कर. बड़ी आरजू-मिन्नत के बाद यहाँ के लोग बगल के किसी गाँव में
शादी-ब्याह का आयोजन कर पाते हैं. गाँव की मुखिया दबे जुबान में कहती है कि आप खबर
तो छापिए, देखिये इस गाँव के नाम पर घोटाले करने वालों की नींद कैसे हराम हो जाती
है. अभी इस गाँव के लोगों पर एक और बड़ी आफत आ चुकी है. गाँव का तेजी से कटाव हो
रहा है और कई घर सुरसर नदी की भेंट चढ़ चुके हैं.
इस गाँव के प्रति जिले के अधिकारियों की संवेदनहीनता की चर्चा भी
आवश्यक है. कटाव की जांच करने वाले जलसंसाधन विभाग, कोपरिया के अधिकारी ने अपने
रिपोर्ट में कहा कि उपजाऊ जमीन का कटाव जरूर हो रहा है, पर यहाँ जान-माल को खतरा
नहीं है.
इस गाँव में कभी कोई नहीं जाता
है. हाँ, नेतालोग चुनाव के समय में जरूर जाते हैं और आश्वासनों की झड़ी लगाकर वापस
आते हैं. यादव, मुसलमान और महादलितों की आबादी वाले इस गाँव में एक प्राथमिक
विद्यालय है जो खंडहर में तब्दील हो चुका है. सवाल बड़ा है कि जिस देश में नेताओं
और अधिकारियों की मानसिकता ही खंडहरनुमा हो चुकी हो तो ऐसे गाँव के लोगों को
आदि-मानव की तरह जिंदगी तो जीना ही होगा.
इस गाँव को देखकर इतना तो कहा जा
सकता है कि आप अपना सामान्य ज्ञान बदल लीजिए कि देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को
मिली. आप समझिए इस बात को कि देश अभी तक गुलामी की दौर से गुजर रहा है. सिर्फ
सत्ता ब्रिटिश अंग्रेज के हाथ से निकल कर देशी अंग्रेजों के हाथ में चला गया है.
मनखाहा: मधेपुरा का एक ऐसा गाँव जो शर्म है विकास के नाम पर, यहाँ भी लिखी गई है लूट की दास्ताँ
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 18, 2014
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महाशय,
ReplyDeleteआप ऐसा नजारा देखने उतना दूर क्यूँ जाते हैं. मधेपुरा नगर परिषद क्षेत्र में हीं ऐसा कई जगह है. आप मधेपुरा नगर परिषद के वार्ड न. २६ के जयपालपट्टी जा कर देखिये. वहाँ जाने का कोई रास्ता नहीं है. एक भी सरक नहीं है नाला नहीं है. सभी को होल्डिंग टैक्स देना परता है. इस मोहल्ले का हाल किसी गावं से भी बुरा है.