मरीजों ने बताया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कार्ड होने के बाद भी समय पर नंबर नहीं लगता। कई बुजुर्ग और मजदूर सुबह से लाइन में खड़े रहते हैं, पर मोबाइल न होने पर उन्हें वापस भेज दिया जाता है। जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पताल इलाज के लिए गरीबों की पहली और अंतिम उम्मीद होते हैं. लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जैसी जटिल प्रक्रिया उनके लिए बड़ी रुकावट बन गई है.
मरीजों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कार्ड से भी समय पर उसका नंबर नहीं लग पाता जिससे उन्हें घंटे तक लाइन में खड़े रहने के बावजूद इलाज नहीं मिल पाता। गांव से आए बुजुर्ग और मजदूर मरीज ने बताया कि कई बार सुबह-सुबह अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी न होने के चलते उन्हें आपस घर भेज दिया जाता है. इससे उनके इलाज में देरी हो रही है और गंभीर मरीजों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक साबित हो रही है स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि स्वास्थ्य विभाग तत्काल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की बाध्यता खत्म करें और पहले की तरह सामान पंजीकरण व्यवस्था शुरू करें ताकि हर गरीब और ग्रामीण मरीज बिना किसी तकनीकी झंझट से अपना इलाज कर सके।
वही प्रभारी डॉक्टर ललन कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में सभी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है. ऑनलाइन व्यवस्था भीड़ नियंत्रित करने के लिए है, पर गरीब मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए हेल्प डेस्क और ऑफलाइन काउंटर बढ़ाए जाएंगे। कोई भी मरीज इलाज से वंचित नहीं रहेगा।
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 04, 2025
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