यह घटना 10 अगस्त 2015 को हुई थी। मामले के वादी विवेक कुमार ने मुरलीगंज थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर के अनुसार वादी विवेक कुमार अपने चचेरे भाई पप्पू कुमार के साथ बाइक से मुरलीगंज जा रहे थे। ईटहरी नहर पुल के पास घात लगाए अपराधियों ने उन पर गोली चलाई। वादी ने बताया कि उन्होंने बाइक झुका दी, जिससे गोली उन्हें नहीं लगी और वे बाल-बाल बच गए। ग्रामीणों के मौके पर पहुंचने तक आरोपी हथियार फेंककर फरार हो चुका था।
बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे चीफ LADCS सीपी चंदन ने बताया कि प्राथमिकी में दर्ज था कि ग्रामीणों ने घटनास्थल पर मौजूद राजेश कुमार और फेंका हुआ हथियार पुलिस को सौंपा था। हालांकि, घटनास्थल के तथ्यों, जांच और गवाहों के बयानों में विरोधाभास पाए गए। वादी ने अदालत में बयान दिया कि शिकायत आवेदन पुलिस ने स्वयं लिखा था उन्होंने केवल हस्ताक्षर किए थे।अभियुक्त राजेश कुमार के विरुद्ध 14 दिसंबर 2017 को हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप तय किए गए थे। दस वर्षों की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 4 गवाह प्रस्तुत किए, लेकिन अदालत में किसी भी गवाह ने घटना को स्पष्ट रूप से सिद्ध नहीं किया।
अभियुक्त राजेश कुमार आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण निजी अधिवक्ता नियुक्त नहीं कर सका था। इसलिए न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पत्र भेजकर उसके लिए बचाव पक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया। DLSA की ओर से चीफ LADCS सीपी चंदन को इस मामले की जिम्मेदारी सौंपी गई।सीपी चंदन ने अदालत में राजेश कुमार का पक्ष मजबूती से रखा। शनिवार को एडीजे-8 राजेश कुमार की अदालत ने आरोपी को निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया।
(रिपोर्ट: मनीष कुमार)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 23, 2025
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