अंतिम यात्रा में पूरे गांव का माहौल गमगीन रहा। भारत माता की जय और रामनारायण यादव अमर रहें के नारों से वातावरण गूंज उठा। रामनारायण यादव ने 1971 में सेना की इनफैंट्री में भर्ती होकर देश सेवा शुरू की थी। वे लंबे समय तक सेना में रहे। 31 अगस्त 2005 को मध्यप्रदेश के सागर से ऑर्डिनरी कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवा के दौरान उन्हें भारत सरकार ने शांति दूत के रूप में एलटीटीई विरोधी ऑपरेशन में भेजा था। इस ऑपरेशन में उन्हें गोली भी लगी, फिर भी कई आतंकियों को मार गिराया। वे सेना में सूबेदार के पद पर भी रहे। साहस, शौर्य और ईमानदारी के लिए कई बार सम्मानित किए गए। सेवानिवृत्ति के बाद वे गांव लौट आए। सामाजिक कार्यों में जुट गए। शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। गांव में पढ़ाई को लेकर जागरूकता फैलाई।
बड़े भाई केदार यादव ने बताया कि रामनारायण यादव सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। देश के सच्चे सिपाही थे।उनके परिवार में पत्नी सिया देवी, पुत्र नवीन कुमार, प्रवीण कुमार और पुत्री किरण कुमारी हैं। परिवार गहरे सदमे में है। यह उनके लिए अपूरणीय क्षति है। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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