कार्यक्रम का नेतृत्व विद्यालय की शिक्षिका पूजा कुमारी ने किया. उन्होंने छात्राओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता, स्वास्थ्य और आत्मसम्मान बनाए रखने की जानकारी दी. पूजा कुमारी ने इसे एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया बताते हुए बताया कि इससे डरने या शर्माने की आवश्यकता नहीं है.
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरक भाषण से हुई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी को लेकर व्याप्त भ्रांतियों और संकोच को दूर करने की बात कही गई. छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन के सही उपयोग, समय पर बदलने और सुरक्षित निपटान के तरीकों के बारे में बताया गया.
इस दौरान छात्राओं ने पोस्टर, कविताएँ और नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए, जिनमें माहवारी से जुड़े सामाजिक मिथकों पर तीखा प्रहार किया गया. उनके आत्मविश्वास ने यह साबित किया कि सकारात्मक माहौल और सही जानकारी मिलने पर वे खुलकर अपनी बात रख सकती हैं.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक व अन्य शिक्षकों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे नियमित रूप से आयोजित करने की आवश्यकता जताई. अंत में पूजा कुमारी ने छात्राओं से अपील की कि वे इस जानकारी को अपने घर व समुदाय में भी साझा करें.
यह कार्यक्रम न केवल माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी एक मजबूत पहल साबित हुआ.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 29, 2025
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