इस विरोध प्रदर्शन की अध्यक्षता कर रहे परवेज़ आलम ने मधेपुरा जिला मुख्यालय के मस्जिद चौक स्थित मदरसा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जानकारी देते हुए कहा कि यह काला कानून देश के मुसलमानों को मंज़ूर नहीं है। केंद्र सरकार बार-बार वादे करती है, लेकिन उन्हें निभाया नहीं जाता। इसलिए इस कानून के खिलाफ हम सड़कों पर उतर रहे हैं। हम सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि 3 मई को सुबह 9 बजे झिठकिया पहुंचें और इस लड़ाई में शामिल हों।
वहीं, अबुजर खान ने कहा कि सरकार ने पहले भी कई वादे किए, लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया। वक़्फ़ एक्ट के ज़रिए सरकार मुसलमानों की जमीनों को हड़पना चाहती है। जाबाज़ खान ने सवाल उठाया कि देश के अन्य ट्रस्टों में मुसलमानों की भागीदारी क्यों नहीं है, और मुसलमानों के ट्रस्ट में बाहरी लोग क्यों शामिल किए जाते हैं? अगर केंद्र सरकार हिंदू-मुसलमान की राजनीति करना बंद कर दे, तो देश तेजी से तरक्की कर सकता है। वहीं जोहान सालार ने साफ किया कि हमारी लड़ाई सरकार से और इस अन्यायपूर्ण कानून से है, न कि किसी धर्म या जाति से।
इस अवसर पर कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे, जिनमें नुरुल्लाह कासमी, फुरकान आलम, काज़ी फ़ैयाज़ अहमद और सबूल आलम प्रमुख रूप से शामिल रहे।

No comments: