मौके पर आंदोलनकारियों एवं उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के प्रांतीय सह संयोजक प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि 4 वर्ष पूर्व हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन एवं सात सौ से अधिक किसानों की शहादत के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठनों के नेताओं से किए गए एग्रीमेंट पूरा नहीं किया जाना किसानों के साथ छलावा है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश के जिला मुख्यालय में चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को आगाह करती है कि यदि हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो हम बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. हमारा मानना है कि देश के विकास में मजदूर किसान एवं अन्य मेहनतकश आवामों का अहम योगदान है, उनकी उन्नति ही देश की उन्नति है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार बड़ी पूंजी पतियों, कॉर्पोरेट घरानों और बड़े भूस्वामियों के निहित स्वार्थ में काम कर रही है तथा नव उदारवादी किसान मजदूर विरोधी नीतियों को लागू कर रही है. उन्होंने एमएसपी कानून को लागू करने, किसानों को ऋण माफ करने, 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले किसानों मजदूरों को दस हजार रूपए मासिक पेंशन देने की मांग की.
किसान नेता गणेश मानव ने कहा कि केंद्र सरकार के जन विरोधी नीतियों के कारण देश के मेहनतकश अवाम बदहाली के शिकार हैं, वहीं मुट्ठी भर अमीरों धन्ना सेठों, पूंजीपतियों एवं लुटेरों के पास देश की धन संपदा का बड़ा हिस्सा गिरवी है. उन्होंने कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण बंद करने, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आंगनबाड़ी, आशा ममता, रसोईया सहित सभी योजना कर्मियों को 26000 रुपए के न्यूनतम मासिक वेतन देने की मांग की.
मौके पर किसान नेता विद्याधर मुखिया, कृष्णदेव साह, अनमोल यादव ,रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार किसानों की नहीं कंपनियों की है. किसान सभा के जिला सचिव कृष्ण कुमार यादव एवं मुकुंद प्रसाद यादव ने मधेपुरा जिला में खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने एवं पर्याप्त मात्रा में मक्का का बीज उपलब्ध कराने की मांग की.
इस अवसर पर मज़दूर नेता बीरेंद्र नारायण सिंह, चंदेश्वरी रजक, दिलीप पटेल, दिलखुश कुमार, विद्यानंद राम, सुरेंद्र साह, बुटीश स्वर्णकार, रमण झा, छात्र नेता वसीमउद्दीन उर्फ नन्हें शुभम स्टालिन, सौरभ कुमार, विमल विद्रोही ने कहा कि किसान मजदूरों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेंगे.
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