वहीं बैठक के उपरांत प्रखंड के सभी मुखिया ने प्रखंड मुख्यालय भवन के सामने निकलकर बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की और तुगलक की फरमान के आदेश की प्रति को आग के हवाले किया. मुखिया संघ की अध्यक्ष ने कहा कि जिस प्रकार राज्य में लोकसभा और विधानसभा है, उसी प्रकार पंचायतों में ग्राम सभा भी है. जिससे पंचायत संचालित होता है. लेकिन ग्राम सभा क़ो समाप्त करने की साजिश सरकार ने की है. जिसे हमलोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. जिस प्रकार से हमारे अधिकारों क़ो समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है.
कहा कि मुखिया संघ की अध्यक्षता में चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. जब तक हमारे अधिकारों क़ो वापस नहीं दिया जता है. बताया गया कि प्रखण्ड मुरलीगंज मुखिया संघ के द्वारा निर्णय लिया गया है कि बिहार सरकार की कैबिनेट में पारित पंचायत कार्य मैनुअल (निविदा) संविधान एवं पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध है, जिसका विरोध किया जा रहा है। यह संशोधन ग्राम पंचायतों के अधिकारों का हनन करता है। राज्य सरकार के द्वारा संविधान द्वारा प्रदत ग्राम पंचायत के स्वायत्तता की हत्या है।
मुखिया संघ अध्यक्ष मुरलीगंज डॉ आलोक कुमार ने कहा कि ग्राम सरकार का पावर छिनने का अधिकार देश के किसी सरकार को नहीं है। ग्राम सभा में पारित योजनाओं के लिए टेंडर नहीं होता है। मिट्टी भरने, चापाकल लगाने, नाली सफाई जैसे कार्य के लिए अगर टेंडर का इंतजार करेंगे तो छह-छह महीने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
इस पंचायत कार्य मैनुअल (निविदा) के विरोध में प्रखण्ड मुखिया संघ मुरलीगंज के द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पंचायती राज मंत्री एवं पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव का पुतला दहन किया गया एवं पंचायत कार्य मैनुअल (निविदा) की प्रति जलाई गई।
मौके पर मुरलीगंज मुखिया संघ अध्यक्ष डॉ आलोक कुमार, मनोज कुमार , अमित कुमार, जितेंद्र कुमार साह, रूपा देवी, मोतीराम, गजेंद्र यादव समेत सभी 17 पंचायत के मुखिया एवं मुखिया प्रतिनिधि मौजूद थे।

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