बताया गया कि जेपी आंदोलन के समय से केपी महाविद्यालय से एक छात्र नेता के रूप में अच्छी ख्याति पाए थे. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पत्रकारिता की दुनिया में अपना अमिट छाप छोड़ा है. पूर्व में वे विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में लंबे समय तक जुड़े रहे. साथ ही साथ कविता और संगीत दोनों में खासी दिलचस्पी लेते थे. यहां तक कि वे अंतिम क्षणों तक शिक्षा और शिक्षण से जुड़े रहे. उन्होंने अपना अच्छा खासा समय निजी शिक्षण संस्थानों में संगीत शिक्षक के रूप में दिया. परिजनों ने बताया कि वे स्वस्थ थे. दो-तीन दिनों से उन्हें सीने में दर्द की शिकायत थी. जिसे वह नजर अंदाज करते रहे, इस दौरान रविवार 31 दिसंबर की रात उन्हें अचानक सीने में दर्द उठा और वे स्वर्ग सिधार गए.
उनके निधन पर एनजेए प्रमंडलीय अध्यक्ष शंकर कुमार ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकारों में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले विनम्र, सहज और कुशल पत्रकार होने के साथ ही अच्छे इंसान भी थे. राजेश्वर राही के निधन से परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है.
राही जी के निधन पर कहा कि साहित्य और संगीत में उनकी अभिरुचि थी. उनके निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनके दिवंगत आत्मा की चिर शांति और उनके परिजन एवं प्रशंसकों की इस दुख की घड़ी में घैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें ईश्वर से यही प्रार्थना है.
वहीं शोक संवेदना व्यक्त करते हुए भूषण जी, डॉ संजय कुमार, रविकांत कुमार, अर्जुन कुमार, शुभकरण कुमार, मिथिलेश कुमार, एनजेए की ओर से सभी पत्रकार बंधुओ ने शोक संवेदना व्यक्त की.
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