संत ने कहा कि अर्जुन, मीरा, संत कबीर आदि जितने भी भक्त एवं संत हुए सभी आत्म ज्ञान होने पर ही महान बने. मनुष्य को नशा, दुर्व्यसन, कुसंग, ईर्ष्या से बचना चाहिए. यह चीजें मनुष्य के अंदर होंगी तो उसे आत्मज्ञान कभी नहीं हो सकता और वह कभी सुखी नहीं रह सकता. गुरु शब्द की महिमा का बखान करते हुए कहा कि सच्चा गुरु वह है जो व्यक्ति में आत्मज्ञान जाग्रत कर देता है. सही राह में चलने का सामर्थ्य और दिशा देता है. शिष्य के जीवन के अंधकार से भरी दुनिया में जगमगाता प्रकाश देता है, भौतिक जीवन में शांति की तलाश मृगतृष्णा के सामान है वास्तविक शांति और सुख तो अध्यात्म में ही है. असंग साहेब के सत्संग में आसपास के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए. मौके पर पुलिस बल व सेवा दार मौजूद रहे.
मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित भागवत चौक से पश्चिम सुपौल रोड स्थित यस कृष एचपी गैस एजेंसी के समीप दूसरे दिन सत्संग में संत असंग देव महाराज ने कहा कि आत्मा ही परमात्मा है. परमात्मा बनने के लिए शुद्ध आत्मा का होना आवश्यक है. इसके लिए मनुष्य को आत्मज्ञान होना जरूरी है. आत्मज्ञान ही मनुष्य को महान बनाने के साथ उसके दु:ख भरे जीवन से सुखमय जीवन की ओर लाता है. आत्मज्ञान से ही मनुष्य बुरे कर्म छोड़कर सद कर्मों की ओर बढ़ता है. मनुष्य को आत्मज्ञान नहीं होने से वह ईश्वर, भक्ति, रिश्ते, संबंधों का मूल्य नहीं समझ पाता.
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