सभी संतो ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया । कार्यक्रम के दौरान अपने अपने अपने वाणियो से श्रोता को संबोधित किया। योगाचार्य महंथ असंग स्वरूप साहेब महाराज ने कहा कि कबीर दास जी भारत के महान कवि और संत रहे हैं। वे निपुण विद्वान और भक्तिकाल के महान प्रवर्तक रहे हैं। इनके दोहे और कविताएं लोगों के बीच आज भी काफी लोकप्रिय हैं। उनके लेखन को सिख समाज सहित आदि ग्रन्थों में भी देखा जा सकता है। कबीर दास किसी एक धर्म के प्रवर्तक नहीं थे वो सिर्फ ईश्वर में विश्वास करते थे। उनके लिए सर्वोच्च ईश्वर से ज्यादा कोई नहीं था। उन्होंने समाज में फैली धार्मिक कुरूतियों की कड़ी निंदा की थी और लोगों को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी रचनायें में हिदी, पंजाबी, हरियाणवी, अवधि, ब्रज, खड़ी बोली और राजस्थानी भाषा का मिश्रण किया है। सिख, मुस्लिम, हिन्दू तीनों धर्मों में उनका प्रभाव देखने को मिलता है।
कबीर मत सत्संग के जयस्वरूप बाबा ने कहा कि सत्संग से कुछ ना कुछ प्रेरणा मिलती रहती हैं। इसलिए लोगों को सत्संग सुनना चाहिए। इस कबीर मत सत्संग में कई जगह से संत पधारे हैं. वहीं इस सत्संग को सफल बनाने में श्रीनगर के सरपंच प्रतिनिधि डॉ सचिंदर कुमार, उमाशंकर कुमार, अमरेंद्र यादव, भूपेंद्र यादव, कन्हैया लाल यादव ,अरुण यादव, तपेश्वर दास, दयानंद यादव, मुंशी जी, अरुण यादव, शशि यादव, पूर्व जिला परिषद की श्री राम कुमार यादव, विवेक कुमार,सहित संपूर्ण श्रीनगर ग्रामीण लगे हुए हैं ।

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