किसान बताते हैं कि सबसे बड़ी समस्या कर्ज लेकर खेती करना और साहूकार का रुपया ब्याज समेत वापिस करने का है. जो फसल बेच कर करते हैं और जो कुछ बच जाता है उस से गुजर बसर करते है. यहाँ फसल ही बर्बाद हो गया और कभी कभी सरकार के द्वारा क्षतिपूर्ति का लाभ भी दिया जाता है तो ऊंट के मुंह में जीरा का फ़ोरन साबित होता है. रंजीत यादव, सिकन्दर यादव, अखिलेश यादव, कैफ आशिफ, मोहिउद्दीन, आरिफ आलम, मोहम्मद मुर्शिद, मिथिलेश शर्मा, नाजिर पासवान, सुबोध रजक, प्रमोद मार्सल, सौरभ कुमार, मामलू अंसारी, मोहम्मद कलीम अंसारी, कलीम उद्दीन, बिनोद सिंह समेत दर्जनों किसानों ने कहा कि अगर सरकार हमलोगों को उचित मुआवजा नहीं देगी तो हम लोग मृत्यु के कगार पर पहुंच कर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे.
वहीं इस संदर्भ में प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुभाष सिंह से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में जिला से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. आदेश मिलने के बाद बर्बाद फसल का जांच कर रिपोर्ट भेजा जाएगा. अब देखना है कि आगे किस का क्या होगा. सरकार उस के साथ है या वो हैं भगवान भरोसे?

No comments: