कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत के आधारशिला रखने वाले और शोषित-पीड़ित और दमित बहुसंख्यक वर्ग के उद्धारक थे. उन्होंने आडंबर, धर्मांधता और पाखंड का विरोध किया. समाज मे जातीय भेदभाव और शोषण को खत्म कर समतामूलक समाज बनाने के लिये आजन्म संघर्ष करते रहे. सती प्रथा, बाल विवाह को खत्म करने और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने के लिये उन्होंने सत्य शोधक समाज नामक संस्था बनाई थी. महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिये पहला स्कूल खोला. उन्होंने धर्मान्धता और पाखंड को चुनौती देने के लिये गुलामगिरी नामक पुस्तक की रचना की.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सामाजिक क्रांति संघ के अध्यक्ष सह NSUI जिलाध्यक्ष निशांत यादव, AISF जिलाध्यक्ष वासिमुद्दीन उर्फ नन्हे, सीपीएम नेता गणेश मानव , NSUI छात्रनेता प्रभात कुमार मिस्टर, हिमांशु राज, सुजीत यादव, जितेंद्र कुमार, आशुतोष कुमार, परुषोत्तम, रौशन कुमार, प्रभाष, AISF छात्रनेता मन्नू यादव, SFI के सूरज समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे.
(ए. सं.)
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