दो दिवसीय महोत्सव में मधेपुरा की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सृजन दर्पण के युवा रंगकर्मी और निर्देशक विकास कुमार द्वारा निर्देशित विद्यापति की रचना उगना रे मोर कते गेला 'नाटक' की, इसमें उन्होंने भारतीय लोक मानस में आदि काल से जमे विश्वास को मूर्त रूप अपने बेहतरीन अभिनय से दिया.
नाटक के माध्यम से सृजन दर्पण के रंगकर्मीयो ने यह संदेश दिया कि सच्चे हृदय की पुकार पर भगवान भी हाजिर हो जाते हैं, विद्यापति की करता पुकार पर जब आदि देव शंकर मंच पर अवतरित हुए तब दर्शक वर्ग भाव विभोर हो गए. विद्यापति की जीवंत भूमिका में थे रंगकर्मी विकास कुमार एवं भगवान शंकर का सुमन कुमार ने किरदार निभाया.
रंगकर्मियों की प्रस्तुति को मौजूद दर्शकों ने खूब सराहा. महोत्सव को सफल बनाने में संयोजक प्रो.डॉ.ओम प्रकाश भारती, डॉ.महेंद्र कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
(नि. सं.)

No comments: