मालूम हो कि अधिवक्ता नीरज कुमार पिंटू के दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सदर थानाध्यक्ष को नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार, म्युनिसिपल सिविल इंजिनियर नीतीश कुमार और नगर परिषद के कम्यूटर ऑपरेटर मो. सादर उर्फ भोला के खिलाफ गबन सहित धोखधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश दिया.
नगर परिषद के खिलाफ न्यायालय के कड़े आदेश से नगर परिषद में मानो भूचाल आ गया. लोगों का मानना है कि ऐसा मामला सिर्फ वार्ड नंबर 18 में ही नहीं नगर परिषद के सभी 26 वार्ड में जिला पदाधिकारी स्वयं जांच करें, नगर परिषद के पदाधिकारी की पूरी पोल खुलकर सामने आ जाएगी.
आरोप यह भी है कि नगर परिषद के कर्मचारी और पदाधिकारी ने प्रधानमंत्री आवास योजना का ऐसे कथित लाभार्थी को मकान आवंटन कराया है जिसने उनके कहने के मुताबिक रिश्वत दिया. बताते हैं कि आवास आवंटन में लाभार्थी के आवेदन के साथ आर्थिक शोषण शुरू हो गया. प्रधानमंत्री आवास योजना का आंकड़ा सही है कि इतने गरीबों को आवास दिया गया लेकिन नगर परिषद के कर्मचारी, पदाधिकारी आवास गरीबों के बजाय अमीर और भवन वाले को आवास दे दिया गया और गरीबों को आज भी सर छुपाने के लिए भवन नसीब नहीं हो सका. ऐसा नहीं कि किसी एक वार्ड में यह हाल है बल्कि सभी वार्ड में ऐसा खेल खेला गया है.
आवास विहीन गरीब लाभार्थी को नव पदस्थापित डीएम से उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी की जांच करे तो नगर परिषद के काली करतूतों का खुलासा होगा.
वहीं थानाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है.

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