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कमांडो के प्रति लोगों का ऐसा विश्वास कायम है कि शहर के युवा से लेकर बुजुर्ग लोग और महिला अब थाना का मोबाइल नम्बर नहीं रखते बल्कि कमांडो का नम्बर रखते हैं ताकि कोई घटना की खबर सबसे पहले कमांडो को दें.
निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एसपी योगेन्द्र कुमार ने लम्बे समय से जमे कमांडो सहित आठ सिपाही को विरमित किया, जिसमें शामिल हैं एसपी कार्यालय में तैनात धनंजय कुमार सहरसा, कमांडो विपिन कुमार सुपौल, कमांडो उदय कुमार मधुबनी, निलंबित अमर कुमार सिंह सहरसा, सिपाही राजेश कुमार सहरसा, तेज प्रताप कुमार, अरूण कुमार सहरसा, विकास कुमार गुप्ता शामिल हैं. एसपी ने सभी को 1अक्टूबर से विरमित किया है.
मालूम हो कि पिछले लोक सभा चुनाव में भी सभी का तबादला किया गया था लेकिन तत्कालीन एसपी संजय कुमार ने कमांडो की सशक्त कार्य को देखते हुए सभी को पुन: वापस ले लिया था.
कमांडो ने आम लोग सहित पुलिस महकमे में भी विश्वास कायम किया. कमांडो ने शहर की सुरक्षा के साथ-साथ एक के बाद एक घटित घटना के बाद घटना का उद्भेदन और अपराधियों की गिरफ्तारी कर लोगों का भरोसा जीता है. शहर के लोग कमांडो पर विश्वास करते हैं. कमांडो ने कई घटना में तो जान जोखिम में डालकर कामयाबी हासिल किया. इस दौरान कमांडो पर हमले भी हुए और अपराधियों को खदेड़ते हुए घायल भी हुए थे.
कमांडो दस्ता उस समय चर्चा में आई थी जब स्थानीय पूर्व विधायक के घर भीषण चोरी ने पुलिस महकमे को हिला डाला था लेकिन कमांडो दस्ता ने घटना के महज 6 घंटे में चोर और चोरी के सारे जेवरात को बरामद कर पुलिस के सर को ऊंचा किया. दूसरी ओर स्वर्ण व्यवसायी के दुकान में दिन दहाड़े डाका और व्यवसायी को गोली मार कर घायल कर लाखों के जेवरात लूटने वाले को कमांडो दस्ता ने गिरोह का उद्भेदन और अपराधियों की गिरफ्तारी कर व्यवसायियों का विश्वास जीता है. ऐसे सैकड़ो उपलब्धि ने कमांडो के द्वारा किये गए त्वरित कार्रवाई ने पुलिस के गिरते शाख को फिर से कायम किया है.
इधर कमांडो की तबादले की खबर से शहर में लोगों में मायूसी छा गई है.

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