

जिसके कारण वार्ड नंबर 6 के दलित आदिवासी के आधा दर्जन से अधिक परिवार का घर कटाव के चपेट में आ गया है. शुक्रवार की रात्रि से अचानक जलस्तर में वृद्धि के कारण बलुवाहा नदी फिर तबाही मचाने के लिए अपने उफान पर है. रामपुर पंचायत बलुआहा रेलवे पुल संख्या 100 के उत्तर के आदिवासी टोले में लोग काफी डरे सहमे हैं.
गत दिनों से रफ्ता-रफ्ता जल के स्तर में वृद्धि के कारण कटाव तेज होता जा रहा है. ऐसे में कटाव पीड़ित परिवार अपने चूल्हे बर्तन और आशियाने को कटाव से बचाने के लिए नदी के गहरे पानी में उतर कर आज दिन के 12:00 बजे खुद से बंबू पाइलिंग कर रहे थे.
पवई मांझी ने बताया कि आधा दर्जन से अधिक घर शुक्रवार से ही कटाव की चपेट में आ गया है. स्थानीय प्रशासन एवं जिला प्रशासन द्वारा कटाव निरोधात्मक नहीं करवाया जा रहा है. हम लोग अपने कुछ पैसे से बांस खरीद कर लाए हैं खुद और मजदूरों को रखकर किसी तरह आशियाने को बचाने की कोशिश में नदी के कटाव को रोकने के लिए बंबू पाईलिंग एवं अन्य उपाय कर रहे हैं.
रविवार की रात्रि में फिर से जलस्तर में वृद्धि के कारण रात से कटान शुरू हो गया. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे नदी का कटाव बढ़ता गया. यह कटाव इतना बढ़ गया कि आस-पास के कई घरों को फिर नदी आगोश में समाने लगा है.
स्थानीय ग्रामीण महिला नीतू हसदा ने अपना घर दिखाते हुए बताया कि मेरा घर कब किस वक्त नदी में समा जाएगा कहना मुश्किल है. घर का एक कोना रात में ही कट कर नदी में समा गया है. घर में रखे सामान को कोई इस बारिश में बाल बच्चों के साथ कहां ले जाएंगा, कहीं कोई व्यवस्था नहीं है ना ही प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था की गई है.
घर कब नदी में विलीन हो जाएगा कहना मुश्किल है. जब तक इस कटाव निरोधी कार्य बोल्डर क्रेटिंग या नेट बोल्डर क्रेटिग और उसके बाद बालू भरे बोरे नहीं डाले जाते हैं तब तक इस गांव का बच पाना मुश्किल होगा. मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो दिनों से लगातार बारिश से कोसी क्षेत्र में जलस्तर की वृद्धि के कारण बलुवाहा नदी भी तबाही मचाने के लिए अपने उफान पर है. जिसके कारण बीती रात से कटान शुरू हो गया था.
मौके पर उपस्थित गजेंद्र हंसदा, अशोक हांसदा, रमेश टुडू, श्यामलाल किसकु, लखन मुर्म, शोभन मुर्मू, मोहन हेंब्रम, नीतू हंसदा, चंदन टुडू ने बताया कि नदी में बढ़ते जल स्तर से कटाव पीड़ित परिवारों ने कहा कि अगर इस नदी के कहर से बचने का जल्द कोई उपाय नहीं किया गया तो लगभग दो सौ की आबादी वाले इस गांव का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा. अगर समय रहते बचाव व राहत कार्य नहीं किया गया तो बाद में काफी परेशानी होगी. क्योकि इस दो सौ की आबादी वाले गांव तक पहुंचने के लिए पर्याप्त रास्ता भी नहीं हैं. स्थानीय नीतू हंसदा ने कहा कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है. रतजगा कर रहे हैं. ललिता देवी ने कहा कि हो बाबू हमारा सब के घर नदी में बहल जाई छए, कोय नै या दकहे वाला कोना जइबे होउ बाबू सब. वहीं बंटी देवी ने बताया कि नदी विकराल रूप धारण कर रही है. बच्चे, बूढ़े रात-रात भर नहीं सोते हैं.
फिर से अचानक बलुआहा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से हमलोगों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. नदी किनारे घर रहने से हमेशा यह चिंता लगी रहती है कि कब हम लोगों का घर कट जायेगा और कब हम लोग विस्थापित हो जायेंगे. इस दिशा में स्थानीय प्रशासन सुस्त है. हमलोगों पर ध्यान देने वाला कोई नहीं हैं. वहीं मुन्नी देवी ने कहा एक बार पहले जिला पदाधिकारी मोहम्मद सोहेल द्वारा त्वरित कार्यवाही से फ्लड फाइटिंग टीम कोपरिया को बुलवाकर हम लोगों की जान बचाई गई थी. अब बढ़ते जलस्तर को देखकर तो हमलोगों का जीना मुश्किल हो गया था. अब क्या होगा भगवान जाने.

बलुआहा नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण रामपुर पंचायत की बस्ती में आधे दर्जन घर कटाव की चपेट में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 13, 2020
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