मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड अंतर्गत ईनरवा में कीस्टो यादव के दरवाजे पर दो दिवसीय सत्संग प्रवचन कार्यक्रम रविवार को समापन हो गया।
सत्संग प्रेमियों को संबोधित करते हुए कटिहार से आये महर्षि मेही आश्रम वाटिका दिवंडीह पवार कोढ़ा से आये पूज्यपाद स्वामी मनोज बाबा ने कहा कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। लेकिन वर्तमान समय में यह अपना कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुका है। जिस कारण स्वर्ग रूपी घर परिवार नरक बन चुका है।
कहा कि मनुष्य पंचपाप जैसे चोरी, झूठ, नशा, हिंसा, व्यभिचार और छ: विकार जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर से ग्रसित होकर अज्ञानता में डूब चुका है। जिस कारण मनुष्य के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाने की आवश्यकता है। ताकि मनुष्य विवेकशील प्राणी बन सके। इसके लिए संतमत के ज्ञान को स्वीकार कर मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टि साधन, नदानुसंधान की क्रिया को अपना कर मनुष्यता लाई जा सकती है। संतमत के मार्ग पर चलकर ही जीवन में परम शांति परम सुख और परम आनंद प्राप्त कर पंचपाप और छह विकार पर विजय प्राप्त कर सकता है।
सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओ खासकर महिलाओं की ओर इशारा करते माता पिता के तरह ही सास ससुर के सेवा में लगे रहने का आह्वान करते हुए कहा कि कर्म प्रधान विश्व रची राखा,जो जस करिहै तस फल चाखा। साथ ही पुरुषोत्तम श्री राम, श्री कृष्ण और सत्यवान जैसे पति चाहने वाले पहले खुद सीता, राधा और सावित्री बनने का प्रयास करें। ताकि अपने कर्म प्रेम के बल पर पंचपाप पर भी विजय प्राप्त कर सके। सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में काफी संख्या में पुरूष और महिला श्रद्धालु साध्वी पूजनीय अनीता माँ जी के अमृत वाणी को सुनें।
कार्यक्रम को सफल बनाने में तारणी बाबा, परमानंद बाबा, उज्ज्वल बाबा, सुबोध यादव, मनोज यादव, देवेंद्र मंडल, सहदेव यादव, रघुनी दास, जीवछ पोद्दार, अमरेंद्र यादव, लालबहादुर यादव सहित आदि लगे हुए थे।
सत्संग प्रेमियों को संबोधित करते हुए कटिहार से आये महर्षि मेही आश्रम वाटिका दिवंडीह पवार कोढ़ा से आये पूज्यपाद स्वामी मनोज बाबा ने कहा कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। लेकिन वर्तमान समय में यह अपना कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुका है। जिस कारण स्वर्ग रूपी घर परिवार नरक बन चुका है।
कहा कि मनुष्य पंचपाप जैसे चोरी, झूठ, नशा, हिंसा, व्यभिचार और छ: विकार जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर से ग्रसित होकर अज्ञानता में डूब चुका है। जिस कारण मनुष्य के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाने की आवश्यकता है। ताकि मनुष्य विवेकशील प्राणी बन सके। इसके लिए संतमत के ज्ञान को स्वीकार कर मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टि साधन, नदानुसंधान की क्रिया को अपना कर मनुष्यता लाई जा सकती है। संतमत के मार्ग पर चलकर ही जीवन में परम शांति परम सुख और परम आनंद प्राप्त कर पंचपाप और छह विकार पर विजय प्राप्त कर सकता है।
सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओ खासकर महिलाओं की ओर इशारा करते माता पिता के तरह ही सास ससुर के सेवा में लगे रहने का आह्वान करते हुए कहा कि कर्म प्रधान विश्व रची राखा,जो जस करिहै तस फल चाखा। साथ ही पुरुषोत्तम श्री राम, श्री कृष्ण और सत्यवान जैसे पति चाहने वाले पहले खुद सीता, राधा और सावित्री बनने का प्रयास करें। ताकि अपने कर्म प्रेम के बल पर पंचपाप पर भी विजय प्राप्त कर सके। सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में काफी संख्या में पुरूष और महिला श्रद्धालु साध्वी पूजनीय अनीता माँ जी के अमृत वाणी को सुनें।
कार्यक्रम को सफल बनाने में तारणी बाबा, परमानंद बाबा, उज्ज्वल बाबा, सुबोध यादव, मनोज यादव, देवेंद्र मंडल, सहदेव यादव, रघुनी दास, जीवछ पोद्दार, अमरेंद्र यादव, लालबहादुर यादव सहित आदि लगे हुए थे।
'मनुष्य अपना कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुका है': दो दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का समापन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 16, 2020
Rating:

No comments: