बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, मां की अर्थी को कंधा देकर दी मुखाग्नि और दस कर्म और पिंडदान करने का लिया निर्णय



बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, मां की अर्थी को कंधा देकर दी मुखाग्नि, फिर दसकर्म कर पिंडदान तक करने का निर्णय लिया. श्रीनगर पंचायत के बेलोखरी गांव वार्ड नंबर 13 की रहने वाली 100 वर्षीय सीता देवी का निधन शनिवार को 11:00 बजे दिन के बीच हो गया. एक बेटी ने बेटा का फर्ज निभाते हुए मां की मौत के बाद पति के साथ रह रही बेटी ने ही मां का अंतिम संस्कार किया.
मां की मौत की जानकारी लगते ही परिवार में मातम छा गया . लेकिन स्वर्गीय सीता देवी के परिवार में कोई बेटा ना होने के कारण बेटी ने मां को मुखाग्नि दी और ढोल बाजे के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली. ये मां की अंतिम इच्छा थी. बता दें कि स्वर्गीय सीता देवी जी के यहां सिर्फ एक ही संतान मंजू देवी थी और मां की अंतिम इच्छा थी कि उनकी चिता को उनकी बेटी ही आग देने की रस्म करें. अपनी मां की अंतिम इच्छा बेटी मंजू देवी ने पूरी हिंदू रीति रिवाज के साथ पूरी की जो कि आज समाज में एक मिसाल है. इस श्रीनगर पंचायत अंतर्गत जिसने भी यह नजारा देखा उनकी आंखें नम हो गई और इस बेटी के प्रति श्रद्धा से सिर झुक गया.
मंजू देवी ने बताया कि मुझे नहीं पता था कि मां के अंतिम संस्कार और दसकर्म की क्रिया को करने के लिए भूमि दान में देनी पड़ेगी. ऐसे में मैने खुद निर्णय लिया. मेरा कोई सगा भाई नहीं होने पर मैने अपनी मां का अंतिम संस्कार भी किया. जब गांव में मैने अपनी मां के सभी कर्म को खुद करने के लिए तैयार हो गई तो लोगों को कुछ अजीब सा लगा लेकिन मेरी आत्मा को शांति मिल रही थी. मैंने पिंडदान से लेकर सभी कर्म करने का निर्णय लिया हूं. मेरे इस कर्म से उन बेटियों को साहस मिलेगा जो माता-पिता का दस कर्म और पिंडदान कर अपनी भूमि दान देने से बच सकती है. वैसे मां के दस कर्म में बेटी बेटा का फर्क बंद होना चाहिए.
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, मां की अर्थी को कंधा देकर दी मुखाग्नि और दस कर्म और पिंडदान करने का लिया निर्णय
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 24, 2020
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