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भले इसके बाद बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने ‘नया कोसी’ बनाने का वादा कर दिया हो, पर धरातल पर हकीकत उस वादे से कोसों दूर है.
सरकार की एक और पुरानी आदत होती है कि जनाक्रोश को शांत करने के लिए वह एक आयोग गठित कर देती है, पर आयोग की रिपोर्ट अक्सर सरकार से प्रभावित ही होती है. यहाँ भी वही हुआ था और कुसहा महाप्रलय के बाद नीतीश सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस राजेश वालिया की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बिठाया जो निर्धारित समय छ: महीने के बदले कई सालों के बाद रिपोर्ट समर्पित की, जिसमें किसी को भी स्पष्ट दोषी नहीं बताया गया. लाखों लोगों के बर्बाद होने के पीछे कोई भी दोषी न हो, ये अपने आप में हास्यास्पद है.
19 मई 2010 को कोसी पुनर्वास व पुनर्निर्माण योजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने भले कर दिया था पर यह लक्ष्य से काफी दूर रहा. सरकार की असफलता पर हम यह भी बताते चलें कि विश्व बैंक ने कुसहा त्रासदी के शिकार लोगों के पुनर्वास के लिए बिहार आपदा पुनर्वास व पुनर्निर्माण सोसायटी को 9 हजार करोड़ का ग्रांट भी दिया था पर फिर भी लक्ष्य कोसों दूर रहा. विश्व बैंक ने कार्य में ढिलाई और लापरवाही बरतने के कारण सहायता राशि में कटौती कर दी थी. बता दें कि ये सोसायटी एक सरकारी एनजीओ है.
अब कहाँ है कोसी?
कोसी में आज जन आन्दोलन हो रहे हैं. समूचा कोसी बदहाली के आंसू रो रहा है. NH 106 और NH 107 सड़कें अपना वजूद खोती जा रही है. खंडहरनुमा इन सडकों को ‘हत्यारिन’ बनाने वाले जनप्रतिनिधि और अधिकारी आज भी खुद मौज मार रहे हैं और इन सडकों से गुजरने वाले जान हथेली पर लेकर चलते हैं. सरकार क्या कर रही है, कुछ पता नहीं चल रहा है. 29 दिसंबर 2018 को मधेपुरा आये पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री ए. पी. साही ने उदाकिशुनगंज से मधेपुरा (NH 106) मात्र 35 किलोमीटर की डेढ़ घंटे में की गई यात्रा को वैतरणी की यात्रा बता कर सड़क पर संज्ञान भी लिया था. सरकार तब से कोर्ट में अपनी दलीलें दे रही है, पर सड़क बाद से बदतर ही होती जा रही है. सरकार की इससे बड़ी नाकामी और क्या हो सकती है?
अब कोसी की जनता इन्हीं सड़कों के लिए सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रही है और सरकार की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है, जो दर्शाता है कि सरकार विकास को लेकर गंभीर नहीं है. जनता को विकास के आंकड़ों के गणित में उलझाने में माहिर सरकार के लिए अदम गोंडवी की ये कविता फिट बैठती है:
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है.
(मुरारी सिंह की रिपोर्ट)
कुसहा त्रासदी की 11वीं बरसी और सड़कों के लिए जन आन्दोलन: कहाँ है नीतीश जी का नया कोसी ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 18, 2019
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