‘शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता ख़त्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा ज्युडिशियरी का बेजा इस्तेमाल’: डॉ. सूरज मंडल

‘शरद यादव के विरुद्ध मोदी सरकार द्वारा गैरकानूनी तरीके से राज्यसभा सदस्यता ख़त्म करने व मामले के दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के बीच सुप्रीम कोर्ट के अवकाश बेंच में शरद यादव के 'आवास व अन्य सुविधाओं को जारी रखने के सम्बन्धी' पर आपातकालीन सुनवाई हेतु एसएलपी की 6 जून की सुनवाई संविधान व कानून विरोधी है.’


उक्त बातें मधेपुरा में  दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सूरज मंडल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कही.


उन्होंने उपचुनावों में मोदी सरकार के पराजय में विपक्षी एकता के सूत्रधार शरद यादव की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते कहा कि मधेपुरा से शरद जी को पुनः लोक सभा भेजने पर जनता कृतसंकल्प है । कहा कि मोदी और अमित शाह ने तमाम विपक्षियों पर शिकंजा कस दिया है। अकेले शरद जी हैं जो मोदी के विरुद्ध दहाड़ने का हैसियत रखते हैं। इधर, नरेंद्र मोदी की सरकार संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में एक शरद यादव को अपमानित करने और सबक सीखाने में अपनी सारी ताक़त लगा दी है। कारण पूरे विपक्ष में अकेले शरद यादव हैं जो मोदी सरकार के कॉर्पोरेट के सेवार्थ जनविरोधी क़दमों और सभी मापदंड को लांघते हुए आम लोगों पर कहर ढा रहे नीतियों के विरोध में चट्टान की तरह खड़े हो गए हैं। दिल्ली से शुरू और फिर देश के अलग अलग जगहों में सांसद अली अनवर के साथ, सभी विपक्षी पार्टियों के सहयोग से #साझीविरासतबचाओ मुहीम के तहत की जा रही कार्यक्रमों की शानदार सफलता से घबरा कर मोदी सरकार ने अब अपनी पूरी ताक़त से इसकी खबरों को दबाने लगे हैं। इसका बदला लेने के लिए मोदी सरकार, शरद यादव को अपमानित करके, उनपर नित्य नए हमले करना, शुरू कर चुका है। 


उन्होंने कहा कि शरद यादव संसद के वरिष्ठतम सदस्य हैं। वे 1974 में पहली बार लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के समय जबलपुर से संयुक्त विपक्ष की ओर से लड़कर लोक सभा के सदस्य बने। वे सात बार लोक सभा सदस्य चुने गए हैं और 2 बार राज्य सभा के सदस्य चुने गए हैं। तीन बार उन्होंने संसद से इस्तीफा दिया है। शरद यादव को सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरष्कार से भी सम्मानित किया गया है। लेकिन अमित शाह का निशाना शरद यादव राज्य सभा मेम्बरी समाप्त करने के तरफ है। चूँकि चुनाव आयोग से लेकर संसद के दोनों सदन के कार्यालय, देश की न्यायपालिका अभी आरएसएस की कब्जे में है तो यह तिकड़म अमित शाह के लिए आसान है। 


डॉ. सूरज मंडल ने कहा कि सभी कानून को ताक पर रखते हुए, और बिना उनके वरिष्टता का ख्याल रखते हुए, शरद यादव को नोटिस दी गयी है की 7 दिन के भीतर बताएँ कि क्यों नहीं उनकी सदयस्ता रद्द की जाए? ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस तरह की शिकायत पर बिना संसद की किसी समिति के समक्ष अपनी बात रखने का मौका मिले, किसी सांसद को इस तरह से सभापति के समक्ष खुद (वकील रखने की इज़ाज़त नहीं दी गयी है) हाज़िर होने कहा जा रहा है। 


कहा कि विजय माल्या, जिसे मोदी सरकार द्वारा सरकारी बैंकों का ₹9,000 करोड़ (US$1.4 billion) लेकर फरार होने दिया गया, उसे भी अपनी बात कहने का मौका दिया गया। आखिर में प्रक्रिया शुरू होने के साल भर के बाद जेटली साहब के इशारे पर उसने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया। शरद यादव के मामले में मोदी सरकार द्वारा जुडिशयरी का बेजा 'इस्तेमाल' है। गैरकानूनी और असंवैधानिक है।  हम इसका पुरजोर विरोध और भर्त्सना करते है । साथ ही मधेपुरा की जनता से आह्वान करते हैं कि शरद यादव को लोक सभा के लिए यहाँ से भारी मतों से जिता कर इस अन्याय का जवाब दें।
(रूद्र नारायण यादव, संपादक)
‘शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता ख़त्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा ज्युडिशियरी का बेजा इस्तेमाल’: डॉ. सूरज मंडल ‘शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता ख़त्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा ज्युडिशियरी का बेजा इस्तेमाल’: डॉ. सूरज मंडल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 03, 2018 Rating: 5

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