शुरू से विवाद का विषय रहा मध्यान्ह भोजन योजना उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर, कि भूख से कोई मरे नहीं, के कारण अब तक चल रहा है।
विवादस्पद योजना इसलिए कि आप किसी भी सरकारी मध्य या प्राथमिक विद्यालय जाइये तो वहां प्रधानाध्यापक यही कहेंगे कि जी का जंजाल बन चुकी यह योजना न जाने कब बंद होगी। कारण बताते हुए वे कहते हैं कि इसी के कारण यहाँ शिक्षकों में राजनीति चलती है और जांच पड़ताल का विषय भी यही है।
बहरहाल इस विवाद में फंसे बिना आप भी जानिये कि अपने मधेपुरा जिले में इस योजना में सिर्फ खाना पर कितना खर्च हो रहा है। जिले में कुल 1541 विद्यालय है जहाँ मध्यान्ह भोजन योजना चलती है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह योजना 1534 विद्यालयों में जारी रही। इन विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या 4 लाख 91 हजार 172 थी। इन्हें खिलाने के लिए 81870 क्विंटल चावल और 29 करोड़ 16 लाख रु0 उपलब्ध कराये गए थे।
वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद अब हिसाब यह बताया गया है कि जिले में कुल दो लाख 74 हजार सात सौ छात्रो ने मध्यान्ह भोजन खाया जिसपर 69 हजार 924 क्विंटल चावल और 25 करोड़ 91 लाख रु0 खर्च किये गए। अगले वित्तीय वर्ष के लिए अब 3 करोड़ 31 लाख रु0 उपलब्ध हैं। मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वन के लिए एक पूरा महकमा कार्यरत है। इनके वेतन, भत्ते का खर्च अलग है।
जानिए मधेपुरा जिले में मध्यान्ह भोजन पर कितना हो रहा है खर्च ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 05, 2017
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