दूसरों की रक्षा और सुरक्षा करने वाले पुलिस जवान आज खुद हैं असुरक्षित
और भगवान भरोसे. अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर व
खंडहर पुलिस लाइन भवन में रहने को है मजबूर हैं
मधेपुरा पुलिस. जिला प्रशासन और पुलिस महकमों के वरीय अधिकारी इनके हालात
सुधारने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. भगवान् भरोसे किसी तरह पुलिस जवान सांप और जहरीले जानवर के बीच रहने पर बेबस हो रहे हैं.
जानकारी के अनुसार सन 1981
से आज तक खँडहरनुमा बाजार
समिति के भवन में चल रहा है
पुलिस लाइन. जिला
स्थापना काल से ही सिंहेश्वर बाजार समिति के खंडहर की तरह भवनों में पुलिस लाइन तब्दील है.
यहाँ सांप और जहरीले जानवर दिनदहाड़े विचरण करते रहते हैं. मधेपुरा जिले में पुलिस जवानों की जिन्दगी
खतरे से खाली नहीं है. हालाँकि तक़रीबन 25
वर्षों से राज्य सरकार और पुलिस महकमों के वरीय अधिकारी दे रहे हैं पुलिस जवानों के लिए नए भवन बनाने का हवाला पर आज तक ये सिर्फ जुबानी बात ही साबित हो रही है. खँडहर भवन में वर्षों से रह रहे पुलिस जवान खासे परेशान हैं.
यहाँ सांप और जहरीले जानवर दिनदहाड़े विचरण करते रहते हैं. मधेपुरा जिले में पुलिस जवानों की जिन्दगी

अब पुलिस मेंस एशोसियशन के उपाध्यक्ष नमो नारायण तिवारी ने बताया कि अगर मामले को लेकर में जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो उग्र आन्दोलन भी किया जाएगा जिसकी तैयारी चल रही है.
इस मामले में जिला प्रशासन और पुलिस महकमों के लोग भी नहीं दे पा रहे हैं कोई खास ध्यान.
हालाँकि जिलाधिकारी मो.सोहैल ने बताया कि पुलिस लाइन की अपना भवन हो इसके लिए प्रक्रिया चल रही है, भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है. कुछ टेक्नीकल कारणों
से विलंब हो रहा है पर जल्द समस्याओं का निदान किया जाएगा.
उधर जब इस मामले को लेकर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता
निखिल कुमार मंडल से सवाल खड़ा
किया गया तो उन्होंने कहा कि हर संभव कानून का राज्य है और रहेगा. बहराल आपने अहम् सवाल रखा है इस मामले को लेकर मैं खुद सरकार के संज्ञान में बातों को मजबूती से रखने का काम करूँगा और जहाँ तक पुलिस लाइन बदहाली की बात है तो जिले में
बाजार समिति की भूमि
है जिस पर पुलिस लाइन बनाने की बात चल रही है मेरा भी प्रयास
रहेगा जल्द समस्याओं की निदान हो. निखिल मंडल ने एक सवाल के जबाब में कहा कि सूबे में विकास की गंगोत्री बह रही है धीरे-धीरे सब समस्याओं की निदान संभव है. अब हमारे मुखिया नितीश कुमार हर घर नल का जल पंहुचाने
के प्रयास में हैं जिसके लिए
विभिन्न जिलों को राशि भी
उपलब्ध करा दी गयी है. सड़क, पुल-पुलिया और बिजली के क्षेत्र में नया इतिहास रचा जा
रहा है.

अब देखना दिलचस्प होगा आखिर कब तक पुलिस जवानों को मिलती है सांप और जहरीले जानवरों से मुक्ति और कब तक मिल पाता है पुलिस बलों को अपना
आशियाना. ये तो वक्त हीं बताएगा पर बहराल खाना-बदोश की जिन्दगी जीने पर मजबूर हैं मधेपुरा
में ये पुलिस के जवान.
दूसरों की रक्षा और सुरक्षा करने वाले पुलिस जवान मधेपुरा में खुद हैं असुरक्षित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 10, 2016
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