मधेपुरा जिले में करोड़ों की लागत से 10 साल पूर्व बने स्टेट बोरिंग विभागीय उदासीनता के कारण हाथी का दांत साबित हो रहा है और किसान अपने खेत का पटवन मोटी रकम खर्च करके भाड़े के पम्पसेट से करने को मजबूर हैं. अगर सरकारी स्तर पर लगाये गये ये स्टेट बोरिंग चालू हो जाते तो किसानों के दिन फिर जाते. सरकार की ये योजना किसान हित में तो जरूर था, लेकिन सरकारी मुलाजिमों की बेरूखी से करोंड़ों खर्च करने के बाद भी इस योजना से कोई लाभ किसानों को नहीं हो पा रहा हैं. मिली जानकारी के अनुसार मधेपुरा जिले में 55 स्टेट बोरिंग करोड़ों की लागत से विभिन्न प्रखंडों में लगाये गए हैं, लेकिन सबके सब बेकार पड़े हुए हैं. चालू नहीं होने के कारण बोरिंग के सामान व सयंत्र चोर के हवाले हो रहे हैं और जो बचा है उसे जंग खा रहा है. हैरानी की बात तो यह है कि सरकार ने इसे चालू रखने के लिए कई अधिकारी व कर्मी को भी भारी-भरकम वेतन देकर जिले में तैनात कर रखा है. लेकिन बगैर कार्य किये ही वेतन उठाकर डकार रहे हैं विभाग के अधिकारी व कर्मचारी.
जब इस बाबत मधेपुरा के डीएम मो० सोहैल से पूछा गया तो डीएम ने कहा कि कुछ बोरिंग चालू कर दिया गया है और बाक़ी सभी बोरिंग को जल्द ही चालू किया जाएगा ताकि किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके.
करोड़ों की लागत से बने स्टेट बोरिंग हाथी के दांत साबित, किसान पम्पसेट पर निर्भर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 17, 2016
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