है हमारा तुम्हारा,
अगर न मिलते
इस जीवन में,
लेते जनम दुबारा”
पूजा की जान उस दिन चली ही जाती यदि उसमें अपने
प्रेमी सुभाष से मिलने का आत्मविश्वास न होता. पर शायद दोनों को इसी जनम में मिलना
था इसलिए पूजा बच गई. अमीरी और गरीबी ने जिले के रतवारा ओपी क्षेत्र के कोदरा घाट के संजय मंडल की पुत्री पूजा और चौसा पूर्वी के टपूआ टोला के सुभाष को मिलने से ऐसा रोका
था कि अमीर बाप की बेटी पूजा को उसके परिजनों ने गत 21 सितम्बर को कुरसैला
के निकट पुल पर से नदी में फेंक दिया था. पर हिम्मत न हारते हुए पूजा तैरकर कई
किलोमीटर दूर निकल गई थी और जिन्दा बच गई. उस समय पूजा ने कुरसैला थाना को आपबीती
सुनाते हुए कहा था कि वह पिता तथा परिजनों के सामने अपने जान की भीख मांगती रही
थी, पर उनका ह्रदय न पसीजा. हालांकि बताया जाता है कि बाद में पूजा ने दवाब में
आकर मधेपुरा में अपना बयान बदलते हुए खुद नदी में कूद जाने की बात कही थी. कहा गया
था कि पूजा अमीर परिवार की बेटी थी और सुभाष गरीब था और इसी वजह से लड़की के परिजन
ने बेटी का हाथ सुभाष के हाथ में देने की बजाय उसे मौत के मुंह में धकेलना बेहतर
समझा था. पर कहते हैं कि जाको राखे साइयां, मार सके न कोई.
उधर
प्रेमी सुभाष के परिजन लड़की को अपनाने को तैयार थे और इस घटना के बाद लगातार बढ़
रहे सामजिक दवाब के सामने लड़की के परिजन भी झुक गए और फिर दोनों तरफ के लोग लड़के
और लड़की को लेकर गाँव के पास के ही एक मंदिर में गए और फिर हिन्दू रीति रिवाज से
दोनों ने सात फेरे लगाकर सात जनम तक एक-दूजे के लिए जीने मरने की कसमें खाई.
पूजा और
सुभाष के प्यार की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक
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प्यार की जीत: अमीरी-गरीबी की दीवार गिरी और नदी में फेंक दी गई पूजा तैरकर हो गई अपने प्रेमी की
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 05, 2014
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