खेत में भैंस चराने से लड़की ने रोका तो भुगतना पड़ा खामियाजा: लड़की के बाप की हो गई हत्या

|डिक्शन राज|15 अप्रैल 2014|
19 वर्षीय कंचन को यदि ये पता होता कि पड़ोसी को अपने खेत में भैंस चराने से मना करना उसके परिवार को जीवन भर का दर्द दे जाएगा. पिछले दस अप्रैल को मधेपुरा जिला के गम्हरिया थाना के चिकनी फुलकाहा की कंचन ने पड़ोसी जालो यादव को अपने गेंहूँ के खेत में भैंस चराने से मना किया था जिसपर जालो ने कंचन को कुछ अपशब्द कह दिया था. कंचन के पिता सत्यनारायण यादव की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह जालो के घर इस बात की शिकायत लेकर चला गया था कि क्यों उसने उसकी जवान बेटी को भला-बुरा कहा.
      जालो के घर सत्यनारायण शिकायत लेकर जैसे ही पहुंचा, जालो आग-बबूला हो गया. बात बढ़ी तो जालो के पक्ष में कई लोग आ गए और फिर सत्यनारायण यादव पर फरसा और रॉड से इतने प्रहार किये गए कि सत्यनारायण को बुरी हालत में मधेपुरा सदर अस्पताल में दाखिल करना पड़ा जहाँ से सदर अस्पताल ने भी उसे पटना रेफर कर दिया. सत्यनारायण को बचाने आये उमेश यादव, जुगेश्वर यादव, रामचन्द्र यादव, राजेन्द्र यादव के साथ भी बुरी तरह मारपीट गई और घायल कर दिया गया.
      पर जख्म इतने गहरे थे कि पटना में भी सत्यनारायण यादव को बचाया न जा सका. लाश आज जैसे ही गाँव पहुंची, पूरे गाँव में कोहराम मच गया. ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर पहुँच गया. यहाँ बता दें कि चिकनी फुलकाहा का इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है. पर मौके को गम्हारिया थानाध्यक्ष अनंत कुमार, सिंहेश्वर थानाध्यक्ष सुमन कुमार और घैलाढ़ ओपीध्यक्ष सुबोध यादव ने स्थिति को संभाल लिया.
      मामला घटना के दिन ही मारपीट का गम्हरिया थाना कांड संख्यां 63/2014 हत्या के प्रयास का दर्ज किया गया था जो अब हत्या के मामले में परिणत हो चुका है. कांड में शामिल 18 लोग नामजद अभियुक्त बनाये गए हैं जिनमें जालो यादव, शम्भू यादव, शत्रुघ्न यादव, भूषन यादव आदि शामिल हैं.
      मृतक सत्य नारायण यादव की पत्नी बेचनी देवी, बेटी कंचन, दो छोटे बच्चे नीतीश और रानी की दुनियां एक छोटी सी बात पर उजड चुकी है.
खेत में भैंस चराने से लड़की ने रोका तो भुगतना पड़ा खामियाजा: लड़की के बाप की हो गई हत्या खेत में भैंस चराने से लड़की ने रोका तो भुगतना पड़ा खामियाजा: लड़की के बाप की हो गई हत्या Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 15, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. यहाँ के डी एम और एस पी नाकामयाब साबित हो चुके हैं. ये दोनों सामाजिक सदभाव को मिटाने में लगे हुए हैं . इन दोनों को सिर्फ आचार संहिता ही दिखाई देता है. मुरलीगंज के दरोगा केश तक दर्ज नहीं करता है

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