अब बसमतिया कहाँ जायेगी, ये बसमतिया को भी नहीं पता
है. मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के भतखोरा गाँव में मुख्य सड़क पर तीन दशक से
बसे महादलित धरकार परिवार के पास न रहने की जमीन है और न कोई छत ही. सरकार की
उपेक्षा का शिकार बने ये परिवार अब कहाँ जायेंगे, ये भी नहीं जानते हैं. तीन दशक एक लंबा समय होता है, और इन परिवारों की सभी यादें इसी सड़क के किनारे से जुड़ी हैं.
सरकारी
स्तर पर भले ही महादलितों को तीन डिसमिल जमीन व अन्य सुविधा सुविधा देने की बात
कही जा रही हो, पर इन महादलितों को तीन डिसमिल जमीन मिलना तो दूर की बात है, सरकार
ने तीन इंच जमीन भी मुहैया नहीं कराई है. सड़क के किनारे की जिंदगी गुजार देने की
सोची थी, पर उस सपने को भी भी सरकारी योजना का बुलडोजर अब तहस-नहस करने को तैयार
है. अब इस सडक का पक्कीकरण विश्व बैंक की योजना से किया जाना है. और ऐसे में यहाँ
बसे बसमतिया देवी, बिनोद धरकार, गजेन्द्र धरकार जैसे दर्जनों परिवार अब अपनी
जिंदगी खुले आसमान के नीचे गुजारेंगे या कहीं और इनका ठौर-ठिकाना होगा, कोई नहीं
जानता है.
मुरलीगंज
के सीओ रामावतार यादव भले ही ये बात कह रहे हों कि चुनाव तक सड़क से नहीं हटाये
जायेंगे महादलित, पर बसमतिया की इस बात का शायद जवाब देना हर किसी के लिए मुश्किल
होगा कि ‘केकरो सौ-सौ बीघा जमीन
उनाहीं पडल छै, और हमरा और के देहो राखे लायक जगह नै छै, इ कोन सरकार भेलै हो भाय.
रहै ले घर नै आ चलै ले चाही इनका ढलैया वाला सड़क ?”
अब कहाँ जायेगी बसमतिया ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 12, 2014
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