|नि.सं.|27 अक्टूबर 2013|
मधेपुरा जिले में शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त
माफियागिरी पर अंकुश लगाने के लिए हाल में जहां जिला प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा
है वहीं शिक्षा माफिया अपनी दशकों से चली आ रही माफियागिरी चलाने के लिए अब जुगाड़
तकनीक की सहायता लेने में भिड गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जिला प्रशासन
अपने मकसद में कामयाब हो पायेगे ?
कहा
जाता है कि वर्षों से मधेपुरा में खासकर इंटरमीडिएट की परीक्षा में माफियाओं का
दबदबा बरकरार है. वे अपने प्रदेश सहित पड़ोसी देश नेपाल एवं अन्य प्रदेशों से
छात्रों को परीक्षा में कदाचार की मदद से अच्छे अंक दिलवाने का ठेका लेते रहे हैं.
जिसके चलते यहाँ से 25 से 35 हजार परीक्षार्थी प्रतिवर्ष शामिल होते हैं. जबकि
बिहार के अन्य जिलों में 5 से 7 परीक्षार्थी हुआ करते हैं. इससे साफ़ जाहिर होता है
कि शिक्षा माफियाओं का राज किस तरह मधेपुरा में कायम है. हाल के दिनों में जिला
प्रशासन द्वारा जो सख्त कदम उठाये गए हैं इससे शिक्षा माफियाओं में दहशत तो जरूर
दिख रहा है, लेकिन उस दहशत को भी काटने के उपाय खोज निकालने में जुटे हैं ये शिक्षा
माफिया. अब तक ये शिक्षा माफिया नामांकन से लेकर परीक्षाफल तक का ठेका लेकर परीक्षार्थियों
से मोटी रकम वसूला करते हैं.
जिला प्रशासन
द्वारा माफियागिरी पर लगाम लगाने के लिए जी कदम उठाये गए हैं इसका असर कितना होगा
ये वर्ष 2014 की इंटरमीडिएट परीक्षा से ही साफ़ हो सकेगा.
[Education in Madhepura]
[Education in Madhepura]
मधेपुरा में शिक्षा माफिया अब जुगाड़ तकनीक में भिड़े !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 27, 2013
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