मधेपुरा जिले में जहाँ अधिकांश स्वर्णकारों को
संघर्ष कर अपनी स्थिति बेहतर बनाने में दशकों लग गए, वहीँ गिने-चुने स्वर्णकारों
की गिनती महीनों में ही लखपति-करोड़पति में की जाने लगी. आखिर रातोंरात ऐसा कौन सा
चमत्कार हो गया कि जीरो से हीरो बन बैठे इन व्यवसायियों को कुबेर का खजाना हाथ लग
गया ?
चौंकिये
नहीं, इन्हें सच में कुबेर का खजाना हाथ लगा. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि कोसी के
कई इलाकों में ज्वेलर्स की लूट के बाद लुटेरों ने गहने इन्हें लाकर दे दिए थे और
बाद में रूपये की शक्ल में अपना हिस्सा ले गए थे. यही नहीं सूत्रों का ये भी मानना
है कि गिने-चुने स्वर्णकारों की चोरों के गिरोह से भी सांठ-गाँठ रहती है. बताते
हैं कि चोर या लुटेरे चोरी और लूट की घटना को अंजाम देने के बाद जल्द से जल्द
जेवरात इनके यहाँ पहुंचा देते हैं जहाँ जेवर को तुरंत की गला कर उसके स्वरुप को
बदल दिया जाता है जिससे चोरी और लूट हुए जेवर की पहचान छुप सके.
पर
रातों-रात अम्बानी बनने का सपना देखने वाले इन स्वर्णकारों की जान पर तब आफत आ
जाती है जब इन अपराधियों से हिसाब-किताब करते समय विवाद उत्पन्न हो जाता है. ऐसी
परिस्थिति में कई बार अपराधी इन लालची स्वर्णकारों की जान लेने पर भी तुल जाते
हैं.
मधेपुरा के कुछ स्वर्णकार की चोर-डकैत से सांठ-गाँठ: सूत्र
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 10, 2013
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