|आर.एन.यादव| 12
मार्च 2013|
मधेपुरा नेताओं के
मामले में समृद्ध माना जाता है. सांसद शरद यादव, बिहार सरकार के काबीना मंत्री
नरेंद्र नारायण यादव, काबीना मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा के अलावे विधायक तथा अल्पसंख्यक
आयोग के अध्यक्ष रमेश ऋषिदेव, प्रो० चंद्रशेखर आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें गिनवा
कर यहाँ के कई लोग छाती फुलाते हैं. भले ही कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि
वर्तमान में यहाँ शायद ही कोई बड़ा नेता जनता की अपेक्षा की कसौटी पर खरा उतरा हो.
जो भी हो, गाहे-बगाहे यहाँ के अधिकाँश नेताओं का यह मानना है कि बाबा सिंघेश्वर की
उनपर असीम कृपा है, और कई नेता बाबा भोले के प्रति अपनी भक्ति महाशिवरात्रि के
अवसर पर सिंघेश्वर मंदिर में ‘जलढरी’ कर व्यक्त करते रहे हैं. पर इस बार
शिवरात्रि के दिन किसी भी बड़े नेता का सिंघेश्वर नहीं आना बाबा के भक्तों को रास
नहीं आ रहा है. इन नेताओं के बारे में लोग चर्चा करने लगे हैं कि आखिर किस काम में
ये फंसे रहे जो भगवान शिव से ज्यादा महत्वपूर्ण था.
जबकि इससे पूर्व किसी न किसी बड़े नेता
की उपस्थिति शिवरात्रि के दिन सिंघेश्वर होती रही है. कई श्रद्धालु नेताओं के
द्वारा बाबा की इस उपेक्षा को गंभीर मानते हैं. उनका कहना है कि इन्होनें सत्ता के
नशे में जो भगवान शिव की उपेक्षा की है उसका खामियाजा इन्हें अगले चुनाव में
भुगतना पड़ेगा और तब बाबा भी इनकी उपेक्षा कर देंगे.
बता दें कि सिंघेश्वर का प्रसिद्ध मेला
सोनपुर के बाद बिहार का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी मेला है और सिंघेश्वर मंदिर व इस
मेले को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है. ऐसे में सरकार के किसी
जनप्रतिनिधि का महाशिवरात्रि और मेले के उदघाटन के दिन नहीं आने से क्षेत्र के
लोगों के बीच चर्चा का विषय है.
भूल गए बाबा को, क्या इस बार बाबा भी भूल जायेंगे इन्हें ???
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 12, 2013
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यही तो हमारी समस्या है। हमारे पास नेता तो बहुत है पर नेतृत्व करने की किसी मेँ क्षमता नहीँ है।
ReplyDeleteयही तो हमारी समस्या है। हमारे पास नेता तो बहुत है पर नेतृत्व करने की किसी मेँ क्षमता नहीँ है।
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