2012 की पहली छमाही में मधेपुरा जिले में दुष्कर्म के इतने मामले दिए हैं जितना शायद पहले कभी नहीं.जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हुए मामलों को यदि एक साथ जमा किये जाएँ तो इनकी संख्यां कई दर्जन में है.
सिर्फ कल ही न्यायालय में जिले भर के हुए दुष्कर्म या इसके प्रयास के चार मामले आये.उदाकिशुनगंज की बलियाबासा की एक युवती के साथ चार लोगों ने न सिर्फ दुष्कर्म को अंजाम दिया बल्कि युवती के गर्भवती होने पर बिठाए पंचायत को भी लाठी के जोर खत्म करवा दिया.
भर्राही ओपी के चौसार महेशुआ की रंजन देवी के द्वारा दर्ज कराये गए मामले (मधेपुरा थाना कांड संख्यां.372/12) के अनुसार जब वह गाँव के मुखिया के यहाँ ये कहने गयी कि पुलिस ने उसके पति को पकड़ लिया है तो मुखिया के यहाँ मौजूद देवनारायण शर्मा की नजर उस पर पड़ गयी.शाम में देवनारायण शर्मा सुनीता के घर पहुंचा और दुष्कर्म को अंजाम दिया.हल्ला पर लोग आये तो देवनारायण शर्मा भागा.
मधेपुरा जिले के औराही गाँव की कुंती देवी के पति सीआरपीएफ में काम करते हैं और बाहर रहते हैं.देवर शालीग्राम ने उसकी इज्जत के साथ खेलना चाहा.विरोध करने पर उसे मारा गया और कान का झुमका शालीग्राम ने खोल लिया.ससुर और शालीग्राम की पत्नी ने भी उसका साथ नहीं दिया और उन्होंने भी कुंती का बक्सा तोड़कर रूपये निकाल लिए.
कलासन चौसा की ज्ञानमाला देवी के साथ जमीन विवाद के कारण पड़ोसी कमिंदर जब बलात्कार कर रहा था तो कमिंदर की पत्नी ने उसके गले से चेन झपट लिया.

चौसार महेशुआ की रंजन देवी के द्वारा दर्ज कराये गए मामले को भी पूरा पढ़ने पर मामला झूठा प्रतीत होता है.मामले में रंजन ने कहा कि हल्ला पर लोग आये और दुष्कर्मी को उसके शरीर से अलग किया और वहां के लोगों ने भी रंजन देवी को नग्न अवस्था में देखा.हल्ला होने पर भी दुष्कर्मी भागने की बजाय महिला के शरीर से लिपटा रहे और लोगों के छुड़ाने पर अलग होकर मौजूद लोगों को लप्पर थप्पड़ लगाते भाग जाए, एक नजर में यह मामला भी झूठा ही दीखता है.

जिले में ऐसी घटनाओं में हुई वृद्धि को सरकार के द्वारा चलाये गए नारी सशक्तीकरण के दुष्प्रभाव के रूप में जोड़कर देखा जा सकता है. शहर और गाँव की महिलाओं की सोच में काफी अंतर है. और इसमें वक्त बर्बाद होता है पुलिस और न्यायालय का. देहाती क्षेत्र की अनपढ़ महिलाओं को लोग आज भी यह कह कर चढ़ा देते हैं कि “एकटा रैव (रेप) केस कै दियौ न, साले के मने ठंढा भै जेते”.पर इसका बुरा प्रभाव वहां पड़ता है जहाँ सचमुच दुष्कर्म को अंजाम दिए जाते हैं.लोग सच को भी झूठ मानने लगते हैं.
शहरों में जहाँ कुछ ऐसे मामले हो जाने पर भी लड़कियां इज्जत के भय से आज भी चुप्पी साध लेती हैं, वहीं गाँवों में मामला नहीं होने पर भी बहुत सी महिलायें झूठा केस कर विरोधी का मन ठंढा कर देती है.
जिले में लगातार हो रहे बलात्कार का सच
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 05, 2012
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अरे साहब सरकार हीं नहीं हमारे संविधान ने भी महिलाओं को इतने और ऐसे - ऐसे अधिकार (हथियार) दे रखें हैं की समाज में ऐसी घटनाएँ होती हीं रहेगी और फरेबों के जाल से मजबूर लोग त्रस्त होते हीं रहेंगें .
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