1
मामूली आदमी हूँ
असमय मरूंगा
तंग गलियों में
संक्रमण से
सड़क पार करते हुए
वाहन से कुचलकर
या पुलिस लॉकअप में
माफ करना मुझे
अदा नहीं कर सकूंगा
मैं अपना
पोस्टमार्टम खर्च.
2
मामूली आदमी हूँ
दिख जाऊँगा सभी जगह
रिक्शा-ठेला खींचता,
मोटिया ढोता
खेत खलिहान,
स्टेशन-बस अड्डा
सभी जगहों पर
हम ही हम
आप करो चिंता
शेयर-सत्ता,
ओजोन-अंतरिक्ष की
मुझे करनी है
सबेरे की !
(प्रसिद्द कविता संग्रह 'राजधानी में एक उजबेक लड़की' से उद्दृत)
--अरविन्द श्रीवास्तव, मधेपुरा.
मामूली आदमी का घोषणापत्र///अरविन्द श्रीवास्तव
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 29, 2012
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Kabit ho tao isi taraha ka
ReplyDeleteRaman Jha
Madhepura