"मैं दूंगा साथ तेरा"///अमन कुमार

मैं दूंगा आवाज तुम्हे,
आवाज मेरी तुम सुनना 
सबसे प्यारा और न्यारा हो जो,
रिवाज वही तुम चुनना 
डर से जो डर लगे कभी ,
हाथों को थाम लेना मेरा 
जीवन के हर पथ पे रथ पे,
मैं दूंगा साथ तेरा 

इस जीवन से कुछ सीखा हमने,
कुछ दूसरों ने सिखाया
पर जीवन क्या है, क्यूँ है ?
अब तक समझ ना पाया 
सुख दुःख है संगम जीवन के,
मुझे दोनों अब लगते प्यारे 
जीवन को व्यर्थ ना करना तुम,
मत बनना कभी आवारे 

जीवन को जीना ऐसे की,
कोई तो याद करे तुमको
कर सको तो कुछ ऐसा करना,
सब दे दुआएँ तुमको
जिसे कद्र ना हो तुम्हारी,
वहां डालना मत अपना डेरा 
इक बार मुझे कर लेना साथ,
फिर सब होगा न्यारा-प्यारा

रोते देखकर तुमको, मैं हस दूँ
ऐसा भी हो सकता है क्या. .??
तुम फँसे रहो भवंर में,  मैं मौज करूँ
ऐसा भी हो सकता है क्या. .??

कभी सोचना मत खुद को अकेला,
भूलकर रिश्ता मेरा. .
जीवन के हर पथ पे रथ पे,
मैं दूंगा साथ तेरा. . .

--अमन कुमार, मधेपुरा.
"मैं दूंगा साथ तेरा"///अमन कुमार "मैं दूंगा साथ तेरा"///अमन कुमार Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 15, 2012 Rating: 5

4 comments:

  1. बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  2. Sukriya, Sushma jee. . .

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  3. bahut achhi kavita likhi aapne.itni kam umr me itna gahri baat likhna bahut kam log ke bas ki baat hoti hai.

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  4. Shukriya Abhishek ji. . .

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