संवाददाता/०७ अप्रैल २०१२
जिले में इंटरमीडिएट की चल रही परीक्षा में प्रशासन
की सख्ती से कुछ घंटों के लिए किसी केन्द्र पर भले ही कदाचार थम जाए,पर प्रशासन के
आलाधिकारियों के जाते ही फिर से केन्द्रों पर नकल कराने का खुला खेल शुरू हो जाता
है.परीक्षार्थी बुलेटप्रूफ जैकेट की तरह पुर्जों और गेस पेपरों को शरीर में सेट कर
कमरों में पहुँचते है.वीक्षक या तो सबकुछ जानते अनजान रहते हैं या फिर वे खुद ही
इस गोरखधंधे में संलिप्त होते हैं.
जिला
मुख्यालय के कई केन्द्रों पर जब प्रशासन के द्वारा शारीरिक जांच कराई जाती है तो
कई परीक्षार्थियों के शरीर से चींट-पुर्जों का जखीरा मिलता है.पर हैरानी कि बात तो
ये होती है कि अधिकारी ऐसे परीक्षार्थियों को निष्काषित करने का आदेश देकर चले
जाते है,पर वहीं के वीक्षक फिर सहानुभूति के आधार पर धराए गए ऐसे नकलचियों को
बचाने की जद्दोजहद में परेशान दिखते हैं.
जाहिर सी
बात है, शिक्षा माफियाओं के प्रबंधन की जाल में परीक्षार्थियों-अभिभावकों से साथ
वीक्षकों का भी गठजोड़ है तो फिर कदाचार रुके तो कैसे?
परीक्षा के कदाचार में वीक्षक भी कम दोषी नहीं
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 07, 2012
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