परीक्षा में कदाचार एक बड़ी समस्या है.हाल में ही मैट्रिक परीक्षा समाप्त हुई है जिसमें भी परीक्षार्थियों ने भारी मात्रा में कदाचार किया था.हम कह तो देते हैं कि परीक्षा में कदाचार नहीं होनी चाहिए पर क्या हमने इस बात पर कभी गौर किया है कि ये परीक्षार्थी कदाचार क्यों करते हैं? इसका आसान सा जवाब मैं आपको बताती हूँ.क्योंकि उनके पास उस विषय की सही जानकारी नहीं होती है जिस कारण वे कदाचार करने पर विवश हो जाते हैं.कदाचार का मुख्य कारण है हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था जिस पर सरकार का ध्यान ही नहीं जाता है.बिहार में सरकारी स्कूल की स्थिति ऐसी है कि बच्चे वहां अपने किताब का एक पाठ भी ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं और उनका सिलेबस भी ठीक ढंग से खत्म नहीं हो पाता है.किसी स्कूल में गणित के शिक्षक का अभाव है तो कहीं हिन्दी के.अंग्रेजी के बारे में तो पूछिए ही मत.इसकी पढाई तो नाममात्र की ही होती है.तो अब बताइये इसी स्थिति में विद्यार्थी क्या करे?जाहिर सी बात है वे परीक्षा पास करने के लिए कदाचार का सहारा तो लेंगे ही.
मैं पूछती हूँ इस स्थिति में दोषी कौन होगा?परीक्षार्थी या हमारी शिक्षा व्यवस्था?अगर हम अकेले परीक्षार्थी को कदाचार के लिए दोषी ठहराते हैं तो तो हम गलत है.बहुत लोगों को मैंने कहते सुना है कि कदाचारमुक्त परीक्षा होनी चाहिए.अरे भाई, पहले स्कूली शिक्षा व्यवस्था में सुधार तो करो, कदाचार खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा.(इसे भी पढ़ें:मधेपुरा को शर्मशार करते ये छात्र और अभिभावक...)
--श्वेता सुमन सिंह, बी.एन.एम्.यू. के निकट, लालूनगर, मधेपुरा.
बिहार में कदाचार के लिए शिक्षा व्यवस्था दोषी?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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March 11, 2012
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इसबार मेट्रिक का परीक्षा मैंने भी दिया और चोरी भी हुई मगर हर जगह हमलोगों को ये नहीं कहना चाहिए की चोरी करना गलत है.मैं ये पूछना चाहता हू की क्या बिना चोरी किये छात्र परीक्षा पास कर सकता है.हमारे बिहार बोर्ड का ऐसा नियम है की कहा से सवाल उठा कर परीक्षा में दे देता है की छात्र उस सवाल को कभी देखा भी न हो.ऐसे में अगर वो चोरी करता है तो चोरी करना गलत नहीं बल्कि बिल्कुल सही है.ये सब को मन्ना परेगा.
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