साहित्यकार और कवि हुआ आंगनबाड़ी केन्द्र:सरकारी विज्ञापन का हाल

वि० सं० /१८ फरवरी २०१२
मधेपुरा में सरकारी विज्ञापनों की कोई कद्र नहीं है.और जगह तो और बात है,समाहरणालय में लगाये गए विज्ञापन भी अक्सर फटेहाल अवस्था में नजर आते हैं.यहाँ लगे होर्डिंग पर समय-समय पर विज्ञापन तो लगा दिए जाते हैं,पर उसके बाद इन्हें देखने वाला कोई नहीं.उजड़े विज्ञापन और इसपर जमे धूल सरकारी उपेक्षा के गवाह हैं.कभी-कभी तो विज्ञापनों की ऐसी स्थिति हो जाती है कि लोग चकरा जाते हैं.समाहरणालय परिसर में सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय के बगल में मुख्य मार्ग की तरफ लगे इस विज्ञापन को देखिये.यहाँ कभी आंगनबाड़ी का विज्ञापन लगा होता था.रविन्द्रनाथ टैगोर की जन्मशती समारोह का समय आया तो इसी के ऊपर से जन्मशती समारोह का विज्ञापन चस्पा कर दिया गया.कारण जो भी रहा हो,पर गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर से सम्बंधित विज्ञापन लगभग फट कर अलग हो गया.सिर्फ विज्ञापन का उपरी भाग थोड़ा बच गया और उसके नीचे आंगनबाड़ी केन्द्र का विज्ञापन सामने आ गया.
     अब इस विज्ञापन को लोग इस तरह पढ़ने लगे, साहित्यकार, कवि, शिक्षाविद, युगदृष्टा-गुरुदेव आंगनबाड़ी केन्द्र आपका अपना.यानी सरकारी लापरवाही के चलते आंगनबाड़ी केन्द्र बन गया साहित्यकार, कवि, शिक्षाविद, युगदृष्टा-गुरुदेव.
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