एक अन्त...एक शुरुआत...

कुछ महीने पहले 
मैंने एक हत्या की थी
अपनी भावनाओं का
लेकिन सिद्धांत और स्वविमान का नहीं
मै हत्या करना नहीं चाह रहा था
परन्तु विवश था हत्या करना जरुरी था
मै हत्या के पहले भी रोया था
अपनी भावना अपनी संवेदना को
आज मार डाला,
अपनी लाश को अपने कंधे पर
उठाए चल रहा था
शमशान की तरफ बढ़ रहा था
शमशान में अकेला था मैं
कुत्ते की रोने की आवाज
सन्नाटे को चीरते हुए
मेरे कानों को डस रहा था
चारो तरफ अँधेरा लेकिन
“डर”भी मेरे कठोर निर्णय से अवगत था
इसलिए वह भी मुझे प्रभावित
करने का प्रयत्न नहीं किया
फिर अपने हाथो से अपनी चिता जलाई
थोरी दूर बैठ कर उस
जलती चिता को देख रहा था
आकाश में सुबह की पहली किरण फैल रही थी
आपकी अस्थि को जल में प्रवाह  किया
काली स्याह रात में
एक जीवन का अन्त हुआ
सुबह की पहली किरण में
एक जीवन की शुरुआत हई
एक अन्त,एक शुरुआत


--हेमंत सरकार ,मधेपुरा
एक अन्त...एक शुरुआत... एक अन्त...एक शुरुआत... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 07, 2011 Rating: 5

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