अपनी आँखों में लगा लिया है
तुम्हारी आँखों से कुछ देर
दुनिया को देखने का इरादा है
तब तक तुम आराम करो ...
आँखें तुम्हारी , ढंग मेरा
जो तुम नहीं कर सके
उसे मैं करती हूँ ....
मैं उन चीजों को जगह से बेजगह नहीं करुँगी
जिनसे तुम्हें एक सुकून मिलता है
पर उन दीवारों के रंग बदल दूंगी
जो तुम्हें करवटें लेने को बाध्य करते हैं !
ज़िन्दगी की गाड़ी
कभी एक पहिये से नहीं चलती
एक पहिये पर तो करामात दिखाए जाते हैं
वह भी कुछ देर के लिए
पूरी ज़िन्दगी में दो पहिये
फिर तीन ... फिर ....
साथ साथ मिलकर चलना ही जीवन को पाना है
-रश्मि प्रभा, पटना
साथ मिलकर चलना ही जीवन को पाना है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 21, 2011
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