रूद्र ना० यादव/१६ अगस्त २०११
मधेपुरा-पूर्णियां बड़ी रेल लाइन मजाक बन कर रह गयी है.इस काम को वर्ष २००९ के फरवरी तक ही समाप्त होना था.अगस्त २००८ में आई बाढ़ से इस प्रोजेक्ट को मानो बहाना मिल गया.जबकि हकीकत यही थी कि बाढ़ का पानी कुछ ही महीनों में निकल चुका था और कम से कम इस काम के लिए आवागमन की सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी थी.पर इस बड़ी रेल लाइन के निर्माण की कछुए सी रफ़्तार को देखते हुए इसे पूरा होने में कितने वर्ष लगेंगे, ये शायद रेलवे के
अधिकारी भी बता पाने में असमर्थ हैं.![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0gk0ZFOoMvI6arPvPReL162XOS5uXs463Z8Ex2Re6T83dkz4kVg1GIIVir2CCdDfv33I_yudN_5OcYDIuIQz5Y5d8efsNq5XPXKWhI2tm24XtF-L0ix7fGw2fefobZNvClGS4NzDlSfOd/s200/%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B2-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE.jpg)
अधिकारी भी बता पाने में असमर्थ हैं.
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आलम यह है कि मधेपुरा से पूर्णियां जाने के लिए बीमारों को भी बस की छतों पर सवार होकर जाना पड़ता है.इस मार्ग में दुर्घटनाएं आम बात हैं.ट्रेन की सुविधा यदि इस रूट में रहती तो लोगों को बसों और ऑटो में जानवर की तरह लद कर नहीं जान पड़ता. यही नहीं,मधेपुरा से ट्रेन से बड़े शहरों की ओर जाने के लिए भी न्यूनतम सुविधा है.लोग परेशान हैं और दिल्ली में बैठे अपने जन प्रतिनिधि को जम कर कोस रहे हैं.बड़ी रेल लाइन के नाम पर क्षेत्र के लोगों के साथ हो रहा है मजाक.
ऐसे कई मामलों में पहले तो इस इलाके के लोगों को लालू ने ठगा.रेल मंत्री के रूप में यदि वे चाहते तो सारा विकास उसी समय हो सकता था, पर राजनीति की रोटी सेंकने वाले इन जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र की जनता को मूर्ख बनाने में ही सकून मिलता है.वर्तमान सांसद शरद यादव ने भी मधेपुरा की समस्या को लेकर संसद में कोई महत्वपूर्ण सवाल उठायें हों,इस पर अधिकाँश लोगों को संदेह ही है.बड़ी रेल लाइन पर यदि सांसद गंभीरता से संसद में बात उठाते तो निश्चय ही काम में तेजी आ सकती थी.क्षेत्र में बहुतों का यही मानना है कि व्यक्तित्व भी उन्होंने ऐसा बनाकर रखा है कि आम जनता उनसे मिलने से परहेज ही करती है.सांसद जब मधेपुरा आते हैं तो चमचों की फ़ौज से घिरे रहते हैं.इनमे से भी सर्वश्रेष्ठ चमचा ज्यादा तरजीह पा लेता है और ये चमचे कहते हैं कि क्षेत्र में सबकुछ ठीक है और सांसद आवास में ही संतुष्ट होकर वापस चले जाते हैं.जनसमस्याएं बढ़ती जा रही है और जो काम केन्द्र के स्तर का है जाहिर सी बात है उसके लिए राज्य सरकार पर दोष मढ़ना ठीक नही होगा.एमएलए और एमपी स्तर के नेता चुनने का मतलब इस जिला के आम लोगों की समझ से बाहर होता जा रहा है.सांसद द्वारा इस क्षेत्र की उपेक्षा से अब विरोधियों की इस बात को बल मिलने लगा है कि ‘पद सांसद का,काम वार्ड सदस्य स्तर का भी नही.’
बड़ी रेल लाइन बना मजाक:बस की छत पर हो रही यात्रा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 16, 2011
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