मेरी गुड़िया
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 12, 2011
Rating:
ये खामोशी, तूफान का असर तो नहीं / रचना
-
इस दरिया में, अब कोई लहर तो नहीं है ।
ये खामोशी, तूफान का असर तो नहीं है ?
गमों को भुला दूँ ..कि फिर मुस्कुरा दूँ..
ये आसान इतना, सफर तो नहीं है ।
जिसकी...
बहुत अच्छी कविता है.
ReplyDelete