मेरी गुड़िया

मेरी गुड़िया कितनी प्यारी,
यह है सारे जग से न्यारी.
इसकी आँखें छोटी-छोटी,
होठों पर इसके है लाली.
मुंह पर इसके तिल है काला,
पहनी है मोती की माला.
अच्छा सा दूल्हा मिल जाए,
तो मेरी चिंता मिट जाए.
फिर मैं इसका ब्याह रचाऊं,
और खुशी से नाचूं गाऊं.


-आस्था,वर्ग-स्टैंडर्ड-I, होली एंजेल्स स्कूल,मधेपुरा.
मेरी गुड़िया मेरी गुड़िया Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 12, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. बहुत अच्छी कविता है.

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