संत और सत्ता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 08, 2011
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ये खामोशी, तूफान का असर तो नहीं / रचना
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इस दरिया में, अब कोई लहर तो नहीं है ।
ये खामोशी, तूफान का असर तो नहीं है ?
गमों को भुला दूँ ..कि फिर मुस्कुरा दूँ..
ये आसान इतना, सफर तो नहीं है ।
जिसकी...
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