जय हो तेरी देवी महंगाई,
तू ने सबके होश ठिकाने लाई|
है कौन तुझसे अधिक महान|
महिमा तेरी बड़ी निराली ,
आती आगे जब कभी थाली |
बस होती रोटी दो-चार ,
सदा जीवन ऊँच-विचार |
तू सबको यह सिखलाती है,
सबको सन्मार्ग पर लती है |
प्याज के बदले काटे आलू ,
फिर भी नैन बहाती नीर |
तेरी हवा से इन मूर्खों को ,
होती देवी अतिशय पीड |
ये क्या जाने तेरा दम ,
तू करती जनसंख्या कम |
सब्जी-सी नाचीज को भी ,
तू दिलवाई अधिक सम्मान |
तेरे कारण लाल टमाटर ,
पाए माणिक-सा मान |
है नेताओं की तू हथियार ,
थर्राती है तुझसे सरकार |
और सिखाती है हठयोग |
तेरी महिमा कितनी न्यारी ,
क्या जाने ये मुरख लोग |
रवि राज,दिग्घी,मुरलीगंज
जय हो तेरी देवी महंगाई
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 25, 2010
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