‘बेटियों में डिटर्मिनेशन ज्यादा होती है’: कैसे करें मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी?: जाने NEET में सफल मधेपुरा की ऐश्वरी आनंद से

बेटियां सब कुछ कर सकती है. वे किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं. बस, जरूरत है कि उन्हें कोई सपोर्ट करे.  उन्हें रेस्पेक्ट दे, उन्हें समझने की कोशिश करें. यदि पैरेंट्स सपोर्टिव हो तो बेटियां बेटों से ज्यादा करके दिखा सकती है, क्योंकि उनमें डिटर्मिनेशन ज्यादा होती है.          
             एक सवाल के जवाब में NEET (NATIONAL ELIGIBILITY CUM ENTRANCE TEST) की 2016 परीक्षा में सफल मधेपुरा की एक बेटी ऐश्वरी आनंद ने कहा कि इस इलाके की बेटियों को बस अभिभावकों के सपोर्ट की जरूरत है, वे कुछ भी कर सकती हैं.  मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र के वार्ड नं. 10 के व्यवसायी पिता आभाष आनंद और माँ सुधा आनंद की पुत्री ऐश्वरी आनंद से हमने मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में NEET की तैयारी करने से सम्बंधित कई सवाल किये ताकि मेडिकल की तैयारी कर रहे मधेपुरा टाइम्स से जुड़े छात्र-छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों को भी इससे लाभ पहुँच सके.
            12 अप्रैल 1997 को जन्मी ऐश्वरी आनंद ने प्राथमिक शिक्षा वर्ग सात तक मधेपुरा के हॉली एंजेल्स स्कूल से और फिर शहर के प्रतिष्ठित कॉन्वेंट किरण पब्लिक स्कूल से दशवीं  तक की शिक्षा प्राप्त की. 9.4 सीजीपीए से मैट्रिक पास करने के बाद ऐश्वरी ने सहरसा के शान्ति मिशन एकेडमी से 70% अंकों के साथ आई. एस-सी. की परीक्षा 2014 में पास की और दो वर्ष बीतते-बीतते  NEET में सफल होकर एक बार फिर कोसी की बेटियों को सन्देश दे गई कि कठिन परिश्रम यदि सही दिशा में करें तो सफलता कठिन नहीं है.
       ऐश्वरी आनंद का मानना है कि मेडिकल जैसी परीक्षाओं में सफल होना चाहते हैं तो सातवीं-आठवीं क्लास से ही उसके बारे में सोचना शुरू कर दें और दशवीं के बाद ग्याहरवीं से बारहवीं तक में ही कठिन मेहनत करें. नीट के परीक्षा पैटर्न के बारे में बताया कि कुल 720 अंकों की परीक्षा में बायोलॉजी के 90 ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के लिए 360 अंक तथा फीजिक्स व केमिस्ट्री के 45-45 प्रश्नों के लिए 180-180 अंक निर्धारित हैं. ऐश्वरी आनंद बताती है कि सिलेबस के अतिरिक्त NCERT की पुस्तकें अच्छी तरह से पढनी चाहिए और क्वेस्चन बैंक के अलावे यदि आपने कोचिंग ली हो तो उसके स्टडी मैटेरियल भी साथ-साथ ढंग से पढ़ें. कहती है, अलग से केमिस्ट्री के लिए ओ. पी. टंडन की किताब, अरिहंत के क्वेश्चन बैंक तथा जीआरबी पब्लिकेशन की किताबें नीट में सफलता दिलाने के लिए काफी है.
    पटना के आकाश इंस्टीट्यूट से कोचिंग क्लास की हुई ऐश्वरी कहती है कि कोचिंग एक गाइडलाइन्स देता है जबकि सेल्फ स्टडी कम से कम 8-10 घंटे करें तो बहुत ही अच्छा. पढ़ी हुई चीजों को दिमाग में व्यवस्थित कर रखना है और पढ़ाई के प्रति डिटर्मिनेशन हो तो सफलता आपकी मुट्ठी में होगी.
   मधेपुरा टाइम्स की ओर से कोसी के एक और बेटी की सफलता पर उसे हमारी शुभकामनाएं. ऐश्वरी आनंद का पूरा वीडियो जरूर सुनें, यहाँ क्लिक करें.
(रिपोर्ट: आर. के. सिंह, कैमरा: मुरारी सिंह)
‘बेटियों में डिटर्मिनेशन ज्यादा होती है’: कैसे करें मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी?: जाने NEET में सफल मधेपुरा की ऐश्वरी आनंद से ‘बेटियों में डिटर्मिनेशन ज्यादा होती है’: कैसे करें मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी?: जाने NEET में सफल मधेपुरा की ऐश्वरी आनंद से Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 06, 2016 Rating: 5

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