कोसी के लाल ने किया कमाल: गाँव के तपेश्वर ने एम्स परीक्षा में देश में 25वां रैंक लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया

हमने एक शाम
चिरागों से सजा रखी है,
शर्त लोगों ने 
हवाओं से लगा रखी है.
       बात पुरानी है कि प्रतिभा देश, काल और परिस्थिति का मुहताज नहीं होती है, पर संघर्ष के बीच इस लड़के ने अपनी प्रतिभा को ऐसा निखारा कि जिसने भी सुना हैरत में पड़ गया. गांव का तपेश्वर अब देश का बड़ा डॉक्टर बनेगा क्योंकि तपेश्वर ने पहले ही प्रयास में एम्स (AIIMS) परीक्षा में ओबीसी कोटे से देश भर में 25वां रैंक (ऑल इंडिया रैंक-182) हासिल कर राज्य, जिले व अपने गांव का नाम रौशन कर दिया है. अत्यंत ही साधारण परिवार के इस कोसी के लाल की सफलता पर तपेश्वर के माता-पिता, दादा-दादी और अन्य लोगों का सहज यकीन करना मुश्किल हो रहा था, पर खामोशी के साथ किए गए संघर्ष से तपेश्वर को मिली सफलता ने शोर मचा दी और आज घर के लोगों का सारा सपना सच हो चुका है.
        तपेश्वर की सफलता यह साबित करने के लिए काफी है कि गावों में भी प्रतिभा की कमी नहीं होती है, बस इसे निखारने की जरूरत होती है. सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र के रामनगर निवासी एक मामूली शिक्षक शिक्षक सम्पत प्रसाद यादव के पुत्र तपेश्वर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक निजी विद्यालय में हुई. कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं. बचपन से ही पढ़ाई के प्रति निष्ठावान और प्रतिभावान तपेश्वर ने वर्ष 2006 में जवाहर नवोदय विद्यालय सुपौल की प्रेवश परीक्षा उत्तीर्ण कर दाखिला लिया.उन्होंने वर्ष 2011 में दस सीजीपीए के साथ दसवीं पास की. वर्ष 2013 में 12वीं की परीक्षा उसने रानी सरस्वती विद्या मंदिर फारबिसगंज से 87.2 प्रतिशत अंक हासिल कर पास किया. मामूली कोचिंग का सहारा लेकर वे पहले ही प्रयास में एनइइटी यू जी की परीक्षा पास कर वर्ष 2013 में ही पावापुडी मेडिकल कॉलेज में नामांकन लिया. एम्स से पहले तपेश्वर का BCECE 2015 बिहार मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सामान्य में 43वां रैंक तथा BC में 21वां स्थान, JIPMER 2015 पांडिचेरी में ऑल इण्डिया रैंक 910वां लाना यह भी साबित करता है कि हाथों की लकीरें कर्म से बदली जा सकती है. तपेश्वर का एडमिशन एम्स दिल्ली में हुआ है.
इंटर के बाद महज एक साल कठोर मिहनत कर साधारण वेशभूषा में रहने के शौकीन तपेश्वर द्वारा वर्ष 2015 में एम्स की सफलता अर्जित करना ग्रामीण परिवेश में रहने वाले उन छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत है जो कठिन मेहनत के बाद भी अपनी सफलता के प्रति सशंकित रहते हैं. साथ ही हैसियत वाले माता-पिता के उन बेटों के लिए एक बड़ी सीख है जो अभिभावक के द्वारा तमाम सुविधा मुहैया कराने के बावजूद आधुनिकता के रंग में रंगे हैं और जीवन की दौड़ में फिसड्डी साबित हो जाते हैं.
 एक सफल चिकित्सक बनने का सपना लिये तपेश्वर ने सफलता का श्रेय अपने माता पिता और दोस्तों को दिया है. वहीं तपेश्वर की सफलता की प्रशंसा चहुंओर हो रही है.तपेश्वर ने बताया कि वे कारडियोलोजिस्ट के क्षेत्र में जाना चाहते है और अपने इलाके की सेवा का भाव उनके मन में उमड़ रहा है. मधेपुरा टाइम्स के नियमित पाठक तपेश्वर की रुचि पढ़ाई के अलावे कविता व संगीत सुनने में है.
मधेपुरा टाइम्स परिवार की ओर से तपेश्वर को इस अद्भुत सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएं.
कोसी के लाल ने किया कमाल: गाँव के तपेश्वर ने एम्स परीक्षा में देश में 25वां रैंक लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया कोसी के लाल ने किया कमाल: गाँव के तपेश्वर ने एम्स परीक्षा में देश में 25वां रैंक लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 19, 2015 Rating: 5

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