मिथुन हत्याकांड में पुलिस नकारा साबित !

राकेश सिंह/०९ जुलाई २०११
हत्या के बाद पुलिस ने दिया था गिरफ्तारी का आश्वासन
मधेपुरा जिला मुख्यालय में पिछले रामनवमी को हुई मिथुन की हत्या (पढ़ें:रामनवमी के शोर में हो गयी एक हत्या) के सिलसिले में पुलिस की प्रगति कछुआ की चाल से हो रही है.उधर मृतक के परिजनों को हत्यारों की ओर से लगातार धमकियाँ भी दी जा रही है.बता दें कि हत्या को लगभग तीन महीने पूरे हो चुके है, पर मामले में मधेपुरा पुलिस के खाते में इस कांड से सम्बंधित एक भी गिरफ्तारी दर्ज नही हो सकी है, जबकि नामित सभी हत्यारे स्थानीय हैं.
   इस चर्चित हत्या से सम्बंधित न्यायालय के अभिलेख मधेपुरा थाना कांड संख्यां-१५४/२०११ में दर्ज प्रगति की अगर बात करें तो पुलिस का निकम्मापन उजागर होता प्रतीत होता है.दिनांक-१४.०४.२०११ को प्राथमिकी दर्ज होने के दो महीने तक पुलिस द्वारा अभियुक्तों के खिलाफ कुर्की-जब्ती हेतु किसी भी कार्यवाही का संकेत
नही दिया गया. एफआईआर के ठीक दो माह बाद पुलिस ने न्यायालय से वारंट माँगा.इस केस का सबसे दुखद पहलू तो ये है कि अभी तक न्यायालय से अभियुक्तों के विरूद्ध कुर्की-जब्ती से सम्बंधित आदेश लेने सम्बंधित कोई आवेदन तक दाखिल नही किया गया है, जो यह दर्शाता है कि पुलिस ऐसे संगीन मामलों
को हलके ढंग से ले रही है.जबकि एक जवान बेटे की मौत और हत्यारों की मिल रही धमकियों से बिजेन्द्र यादव का परिवार दहशत में जीने को विवश है.ऊपर से घटना के बाद हत्या का विरोध कर रहे ८० लोगों पर पुलिस के द्वारा शांतिभंग करने से सम्बंधित उल्टा मुकदमा कर देने से मुहलेवालों की भी परेशानी कम होने का नाम नही ले रही है.मृतक के पिता बिजेन्द्र यादव ने बताया कि अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर एसपी तक इस मामले में उन्होंने गुहार लगाई, पर नतीजा ढाक के तीन पात.हार कर अब उन्होंने न्याय दिलाने हेतु मानवाधिकार आयोग,दिल्ली, पुलिस महानिदेशक, पटना, पुलिस महानिरीक्षक, दरभंगा, डीएम, मधेपुरा को पत्र लिखा है.
  मृतक के पिता का यह भी आरोप है कि हत्या की रात को जिस मोबाइल से बार-बार मिथुन को फोन किया जा रहा था और हत्या के कुछ देर पहले भी रात्रि ८.३९ पर कॉल आया था, पुलिस को उसका
दहशत में हैं मिथुन के माँ-बाप
नंबर देने के बाद भी पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए नही बुलाया है.यहाँ तक कि प्राथमिकी में दर्ज टेम्पू ड्राइवर संतोष ने टेम्पू मालिक की संलिप्तता भी पुलिस के सामने स्वीकारी थी, पर पुलिस ने उसका भी १६४ का बयान न्यायालय में नही कराया.यहाँ तक कि मिथुन इलाज के दौरान अस्पताल में कई घंटे जिन्दा भी रहा था,पर पुलिस द्वारा उसका मृत्यु पूर्व कोई बयान नही लेना पुलिसिया कार्यवाही को संदेह के घेरे में लाता है.
    मिथुन की हत्या के बाद के दौर को अगर याद करें तो उस समय ऐसा लग रहा था कि मधेपुरा पुलिस को एक बड़ी सफलता मिल गयी है कि मौत से पहले मिथुन ने पुलिस को हत्यारे का नाम भी बता दिया था जिसकी पुष्टि सदर एसडीपीओ विजय कुमार ने भी की थी.(पढ़ें:क्या सुजीत ही मिथुन का हत्यारा है?)पर इस कांड में अबतक कोई सफलता नही मिल पाना और नामजद अभियुक्त सुजीत यादव, बिरेन यादव और मिस्टर की गिरफ्तारी नही होना मधेपुरा पुलिस की निष्क्रियता दर्शाता है और इससे निश्चित रूप से अपराधियों के हौसले बुलंद होते रहेंगे.
मिथुन हत्याकांड में पुलिस नकारा साबित ! मिथुन हत्याकांड में पुलिस नकारा साबित ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 09, 2011 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.