जिले के शंकरपुर प्रखंड के बगबियानी गाँव की निर्मला देवी का कष्ट कम होने का नाम नही ले रहा था.पहले तो प्रकृति ने अपूरणीय क्षति दे दी, फिर अधिकारियों ने भी कम आहत नहीं किया.पिछले महीने के वज्रपात ने निर्मला की बेटी रूबी को उसकी जिंदगी से सदा के लिए छीन लिया.सरकार के द्वारा जख्म पर मरहम लगाने का प्रयास तो किया गया पर शंकरपुर के अंचलाधिकारी की करतूत ने निर्मला के जख्म को कभी भरने नही दिया.वज्रपात में बेटी को खोने के बाद निर्मला को आपदा राहत कोष से एक लाख का चेक उसके पिता
शिवशंकर मेहता के नाम से मिला तो जरूर पर उस चेक पर अंचलाधिकारी की आँखें गड गयी.निर्मला ने आरोप लगाया कि पहले तो अंचल में उसे अनेकों तरह के कागजात जमा करने के नाम पर परेशान किया गया और फिर सीओ ने निर्मला से बीस हजार रूपये कमीशन के तौर पर माँगा.कमीशन नही देने की बात पर तो सीओ ने हद ही कर डाली.सीओ ने सरकार के नियमों की धज्जी उड़ाते हुए भारतीय स्टेट बैंक सिंघेश्वर की शाखा को निर्गत चेक का भुगतान रोक देने का निर्देश तक दे डाला.
शिवशंकर मेहता के नाम से मिला तो जरूर पर उस चेक पर अंचलाधिकारी की आँखें गड गयी.निर्मला ने आरोप लगाया कि पहले तो अंचल में उसे अनेकों तरह के कागजात जमा करने के नाम पर परेशान किया गया और फिर सीओ ने निर्मला से बीस हजार रूपये कमीशन के तौर पर माँगा.कमीशन नही देने की बात पर तो सीओ ने हद ही कर डाली.सीओ ने सरकार के नियमों की धज्जी उड़ाते हुए भारतीय स्टेट बैंक सिंघेश्वर की शाखा को निर्गत चेक का भुगतान रोक देने का निर्देश तक दे डाला.
सीओ की करतूत से आहत निर्मला पहुंची जिलाधिकारी के पास और इन सारी बातों का जानकारी दी.बस क्या था, डीएम ने उक्त सीओ को लगाया फोन और जम कर फटकारा.उन्होंने कहा कि इस चेक पर रोक लगाने का उन्हें कोई अधिकार नही है, वे फ़ौरन उस चेक पर लगे रोक को वापस लें.
यहाँ सवाल ये उठता है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने का प्रयास तो कर रही है,पर उनके अधीनस्थ बहुत से अधिकारी सरकार कि इस मंशा को असफल करने में जी-जान से लगे हुए हैं,ऐसे में क्या सरकार का निकट भविष्य में भ्रष्टाचार मुक्त बिहार देखने का सपना सच हो पायेगा?
डीएम ने सीओ को लगाई जमकर फटकार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 08, 2011
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