52 एकड़ में फैला विशाल पोखर उपेक्षित, पहल हो तो बन सकता है पर्यटन स्थल

मधेपुरा जिला के घैलाढ़ प्रखंड के भतरंधा परमानपुर पंचायत के घोपा गांव में स्थित 52 एकड़ में फैला विशाल घोपा पोखर अपनी ऐतिहासिक पहचान और प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद उपेक्षा का शिकार है। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पोखर पर्यटन स्थल बनने की अपार क्षमता रखता है, मगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण आज भी विकास से कोसों दूर है। घोपा पोखर सदियों से गांव की पहचान रहा है।खेती-बारी, पशुपालन और जल संचयन का मुख्य स्रोत होने के कारण यह लोगों के जीवन का अहम हिस्सा रहा है।पोखर के किनारों की संरचना, चारों ओर हरियाली और शांत वातावरण इसे ऐतिहासिक और प्राकृतिक दोनों रूपों में खास बनाते हैं।

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की बड़ी संभावनाएं

स्थानीय लोगों का मानना है कि 52 एकड़ में फैला यह प्राकृतिक जलस्रोत इको-टूरिज्म स्पॉट, पिकनिक जोन, नौकायन केंद्र, वॉकिंग ट्रैक आदि स्थानीय संस्कृति और कला प्रदर्शन स्थल की रूप में विकसित किया जा सकता है।यहां मत्स्य पालन और जल संरक्षण परियोजनाएं भी शुरू की जा सकती हैं, जो युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करेंगी। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि नहीं दिखा रहे रुचि स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इतनी विशाल और ऐतिहासिक धरोहर को पर्यटन स्थल बनाने की क्षमता होते हुए भी जिला प्रशासन, स्थानीय अधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि और क्षेत्रीय विधायक तक इसकी ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पंचायत के एक सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र प्रसाद यादव अशोक यादव आदि ने बताया हमने कई बार अधिकारियों और नेताओं को यहां की स्थिति बताई, पर अभी तक कोई सर्वे, योजना या विकास कदम नहीं उठाया गया। इतनी बड़ी धरोहर उपेक्षा में पड़ी है, यह गांव के लिए दुर्भाग्य है।

ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि विकास का वादा करते हैं, लेकिन घोपा पोखर जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर किसी की नजर नहीं जाती।

साफ-सफाई और सुविधा के नाम पर नहीं हुआ कोई काम

स्थानीय लोगों ने बताया कि पोखर में न तो नियमित सफाई,न लाइटिंग,न सिटिंग अरेंजमेंट और न ही सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम कभी किया गया। बेवजह झाड़ियों, गाद और टूटी-फूटी पगडंडियों ने इसका स्वरूप बिगाड़ दिया है।

जल संरक्षण का मॉडल बन सकता है घोपा पोखर

मधेपुरा टाइम्स के संवाददाता लालेंद्र कुमार के बताया 52 एकड़ का ऐसा विशाल जलस्रोत आज के समय में बेहद मूल्यवान है। इसे संरक्षित कर विकसित किया जाए, तो यह जिले के जल संरक्षण मॉडल के रूप में भी मिसाल बन सकता है। इस पर आधारित परियोजनाएं न केवल पर्यावरण संतुलन के लिए उपयोगी होंगी बल्कि गांव की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेंगी।

गांव के लोगों ने जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग और जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि घोपा पोखर को संरक्षण और पर्यटन विकास योजना में शामिल किया जाए।उनका कहना है कि थोड़ी सी पहल से यह स्थल घैलाढ़ व मधेपुरा का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकता है।

बता दे कि कोसी क्षेत्र के बीचों-बीच बसे घोपा गांव का 52 एकड़ में फैला विशाल घोपा पोखर वर्षों से प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी का शिकार बना हुआ है। यह पोखर सहरसा, मधेपुरा और सुपौल—तीनों जिलों के भूगोल के मध्य स्थित होने के बावजूद किसी योजना या विकास कार्य का इंतजार कर रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, मधेपुरा जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर, सुपौल से 25 किलोमीटर और सहरसा से सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह प्राकृतिक जलस्रोत पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि इसे विकसित किया जाए तो यह न सिर्फ कोसी क्षेत्र की पहचान बन सकता है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का भी नया अवसर साबित हो सकता है।



52 एकड़ में फैला विशाल पोखर उपेक्षित, पहल हो तो बन सकता है पर्यटन स्थल 52 एकड़ में फैला विशाल पोखर उपेक्षित, पहल हो तो बन सकता है पर्यटन स्थल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 03, 2025 Rating: 5

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