इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित एक एक कलाकृति इस महापर्व की चमक, भक्ति और संस्कृति को बेहद खूबसूरती से दर्शाती नजर आई। 52 कलाकारों के इस महासंगम में अपने सहरसा,चैनपुर की बेटी अर्चना मिश्रा की पेंटिंग ने खूब वाहवाही बटोरी।
विदित हो कि अर्चना विगत 10 वर्षों से कला के क्षेत्र सक्रियता से अपना योगदान दे रही है हाल ही में इनकी मिथिला पेंटिंग की प्रदर्शनी ललित कला अकादमी पटना और ललित कला अकादमी, दिल्ली तथा जापान में भी लगी थी। बचपन से ही पेंटिंग में रुचि रखने वाली अर्चना ने गणित से स्नातकोत्तर के साथ प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ से पेंटिंग में स्नातकोत्तर है । अर्चना की कला स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हर मंच पर सहराना बटोर चुकी है ! कला के विभिन्न आयामों में छाई अर्चना बताती है कि वो एक कलाकार के तौर पर सदैव अपना उत्कृष्ट देने का प्रयास करती है और इसी दिशा में प्रयासरत है। और इस प्रदर्शनी का हिस्सा होना उनके लिए गर्व की बात है ।
प्रदर्शनी में लगी अपनी कृति के बारे में बात करते हुए अर्चना बताती है इस चित्र में उन्होंने छठ पूजा के विविध आयामों को एक कलाकार के तौर पर उकेरा है विशेषकर छठ पूजा के अनुष्ठान से लेकर समापन तक हमारे समाज के स्त्रियों की सहभागिता को चित्रित किया है। आप चित्र में देखने पर पाएंगे की कितनी बारिकी और खूबसूरती से इस बात का चित्रण किया गया है आगे अर्चना बताती है कि उनका सपना है कि जिस तरह मधुबनी और दरभंगा मिथिला पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध हो चुकी है उसी तरह हमारा सहरसा भी मिथिला पेंटिंग और कला के लिए जाना जाए और भविष्य में यहां के कलाकारों को भी राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री जैसे सम्मान मिले।
वर्तमान में फरीदाबाद में रह रही अर्चना अपने बेहतरीन कलायात्रा का श्रेय अपने पिता मनोज कुमार मिश्र के साथ अपने जीवनसाथी आकाश भारद्वाज तथा सास-ससुर किरन चौधरी और अनिल चौधरी को देती है. वो बताती है एक कलाकार के लिए ऐसी संभावनाएं और मौके मिलना अत्यन्त आवश्यक है ताकि उन्हें अपनी कला , विचार तथा भावों को प्रर्दशित करने की स्वतंत्रता मिलती है।
प्रदर्शनी को क्यूरेट विरिष्ठ कलाकार श्रीमती अलका दास और श्रीमती मनीषा झा तथा आयोजन श्री भैरव लाल दास के द्वारा किया गया था !इनमें लोककला की 10 से अधिक विधाओं में कलाकृतियां सम्मिलित थी जिनमें मधुबनी, मंजूषा, टिकुली, पटना कलम, भोजपुरी पेंटिंग, सुजनी आर्ट, टेराकोटा, समकालीन चित्रकला, कुर्शिया और फोटोग्राफी जैसी विधाओं को कलाकृतियों में मुख्य आकर्षण का केंद्र बना रहा।
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 04, 2025
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