पत्रकारों से बातचीत में अनुपम ने कहा कि बीसीए छात्रों की समस्या बेहद सामान्य है, जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन आसानी से हल कर सकती है लेकिन प्रशासन की हठधर्मिता और संवादहीन रवैये के कारण छात्र पिछले कई दिनों से हाईवे किनारे खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जब छात्र शांतिपूर्ण ढंग से विश्वविद्यालय परिसर स्थित धरना स्थल पर जा रहे थे, तो उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.
अनुपम ने विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये को तानाशाही और अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि अनशन कर रहे छात्रों को प्रशासन द्वारा सामाजिक उपद्रवी की तरह पेश किया जा रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यह आचरण किसी भी कुलपति के पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कुलपति पर संवाद विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे लोगों के हाथों में है, जो छात्रों की आवाज को सुनने के बजाय उसे दबा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया जाएगा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर राज्यपाल तक को विश्वविद्यालय की समस्याओं से अवगत कराया जाएगा.
गौरतलब है कि एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार, बीसीए छात्र आलोक कुमार और सानू कुमार विश्वविद्यालय गेट पर अनशन पर बैठे हैं. उनका कहना है कि करीब 80% छात्रों को महज 0.5 अंक की कमी के कारण फेल कर दिया गया है, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन उत्तर पुस्तिकाओं की पुनर्मूल्यांकन की मांग को मानने से इंकार कर रहा है.

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