एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन करना छात्र संगठनों का अधिकार है और छात्र छात्राओं के शोषण और दमन के खिलाफ़ आवाज़ उठाना छात्र नेताओं का कर्तव्य है, किंतु कुलपति के विश्वविद्यालय कैंपस में छात्रों के आवाज़ को कुचलने का काम किया है जो दुर्भागपूर्ण है. इसलिए आज संयुक्त छात्र संगठन के द्वारा तुगलकी फरमान और तानाशाही निलंबन पत्र को जलाया गया है. छात्र संगठन और छात्र नेताओं को निलंबन पत्र में असामाजिक तत्व से संबोधित करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. कुलपति बताएं कि छात्र नेता अगर असमाजिक तत्व हैं तो कुलपति असमाजिक तत्वों से वार्ता क्यू करते हैं ? मनीष ने कहा कि असामाजिक तत्व कौन है या नहीं, यह तय पुलिस प्रशासन और कोर्ट तय करेगी ना की विश्वविद्यालय प्रशासन.
आइसा के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अरमान अली ने कहा कि जब से कुलपति डॉ बीएस झा ने जिम्मेदारी संभाली है तब से ही छात्र-छात्राओं को परेशान किया जा रहा था और विरोध करने पर आंदोलनकारी छात्र नेताओं पर लाठी चार्ज, गिरफ्तारी और निलंबन कराया जा रहा है. छात्र हित में मुझे आवाज उठाने के जुर्म में मुझे 100 बार भी निलंबित किया जाएगा फिर भी मैं माफी नहीं मानूंगा.
एआईएसएफ के राज्य परिषद सदस्य मौसम प्रिया ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में छात्रा के न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाले छात्रा को भी निलंबित कर कुलपति अपने आप को साबित कर दिया कि वे महिला विरोधी हैं. कुलपति बिना शर्त निलंबन वापस ले और पीड़ित छात्रा को न्याय दे और महिला उत्पीड़न के आरोपी परीक्षा नियंत्रक पर कार्रवाई करे नही तो आंदोलन जारी रहेगा.
छात्र लोजपा के जसवीर पासवान ने और भीम आर्मी के बिट्टू रावण ने कहा कि कुलपति ने छात्रों को निलंबित कर के असंवैधानिक काम किया है. बगैर किसी जांच कमिटी से जांच कराए दोषी करार देना तानाशाही रवैया है. जब तक आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई नहीं करते तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
इस मौके एआईएसएफ छात्र नेता डॉ प्रभात रंजन, एनएसयूआई छात्र नेता अंकित झा, आइसा के विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी राजकिशोर राज, मंटू कुमार आदि छात्र नेता मौजूद रहे.
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